सचिन और कांबली के बीच 8 साल की लड़ाई खत्म, इसलिए हुई थी दुश्मनी

सचिन और कांबली के बीच 8 साल की लड़ाई खत्म, इसलिए हुई थी दुश्मनी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-24 15:14 GMT
सचिन और कांबली के बीच 8 साल की लड़ाई खत्म, इसलिए हुई थी दुश्मनी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर और उनके बचपन के दोस्त विनोद कांबली के बीच चल रही लड़ाई अब खत्म हो गई है। करीब 8 साल पहले दोनों के बीच दुश्मनी हुई थी, लेकिन अब दोनों के बीच सबकुछ सही हो गया है। दोनों ही खिलाड़ी क्रिकेट से जुड़े एक इवेंट के दौरान मुंबई में मिले थे। यहां दोनों ने गले मिलकर 8 साल से चली आ रही लड़ाई को खत्म कर दिया है।

इस बात का खुलासा खुद पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली ने किया है। एक अंग्रेजी अखबार से बात करते हुए विनोद कांबली ने कहा कि हां, हमारे बीच अब सब कुछ ठीक है। इसके लिए मैं खुश हूं। हमने एक-दूसरे को गले लगाया और बात की। 45 साल के कांबली ने कहा जो भी कुछ हुआ वह सब हमारे बीच था। अब मैं इसके (दोस्ती) बारे में बहुत खुश हूं। बता दें कि सचिन तेंडुलकर और विनोद कांबली क्रिकेट से जुड़े एक इवेंट के दौरान मुंबई में मिले थे। यहां उन्होंने सारे मनमुटाव दूर करते हुए एक-दूसरे से बातचीत की और दिलखोलकर मिले।

इसलिए हुई थी दुश्मनी

बचपन के साथी और इन दोनों दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों की दोस्ती काफी मशहूर रही है। इसमें उस वक्त दरार आ गई थी, जब विनोद कांबली ने जुलाई, 2009 में सचिन के खिलाफ एक बयान दिया था। कांबली ने एक टीवी शो में यह कहते हुए तहलका मचा दिया था कि सचिन ने उन्हें क्रिकेट में वापसी के लिए मदद नहीं की। यह बात सचिन के दिल पर इतनी जोर से लगी कि उन्होंने 2013 में 200वां टेस्ट खेलने के बाद रिटायरमेंट के दौरान वानखेड़े स्टेडियम में दी गई स्पीच में सभी का नाम तो लिया, लेकिन कांबली का कहीं भी जिक्र नहीं किया।

बचपन का याराना

सचिन तेंदूलकर और विनोद कांबली के बीच बचपन का याराना रहा है। दोनों ने एक साथ पढ़ाई की है, और क्रिकेट भी एक साथ ही खेला है। स्कूल क्रिकेट के दौरान इन्होंने नॉट आउट 664 रन की पार्टनरशिप का रिकॉर्ड भी बनाया था, जो कई सालों बाद टूटा। इन दोनों दोस्तों ने मुंबई के लिए और फिर टीम इंडिया के लिए भी एक साथ ही क्रिकेट खेला है। हालांकि सचिन का करियर ज्यादा लंबा रहा है, कांबली के मुकाबले। दोनों के कोच भी एक ही थे-रमाकांत आचरेकर।

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