महाराष्ट्र में नहीं खत्म हो रहा किसान आत्महत्या का सिलसिला, तीन साल में 11,441 किसानों ने की खुदकुशी

महाराष्ट्र में नहीं खत्म हो रहा किसान आत्महत्या का सिलसिला, तीन साल में 11,441 किसानों ने की खुदकुशी

Anita Peddulwar
Update: 2018-08-20 07:07 GMT
महाराष्ट्र में नहीं खत्म हो रहा किसान आत्महत्या का सिलसिला, तीन साल में 11,441 किसानों ने की खुदकुशी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बावजूद किसान आत्महत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। किसान आत्महत्या मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे हैं। यूपीए सरकार के समय राज्य में किसानों की स्थिति पर भाजपा आक्रामक थी, लेकिन भाजपा नेतृत्व की युति सरकार में भी स्थिति नहीं बदली है और हालात जस के तस बने हुए हैं । राज्य में 2014 से युति सरकार है। वर्ष 2013 से राज्य में किसान आत्महत्या के मामले देश के अन्य राज्यों की तुलना में अधिक है। केंद्र व राज्य सरकार किसानों के हित के लिए विविध कल्याणकारी योजनाएं चला रही हैं, लेकिन उन योजनाओं पर अमल नहीं हो पा रहा है।

बस बना दी जाती है कमेटियां
रामटेक लोकसभा क्षेत्र से शिवसेना के सांसद कृपाल तुमाने के प्रश्न पर कृषि व कल्याणमंत्री राज्यमंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत द्वारा लाेकसभा में दिए उत्तर में किसान आत्महत्या के आंकड़े सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक 2013 में महाराष्ट्र में 3146 किसानों ने आत्महत्या की। 2014 में किसान आत्महत्या के मामले बढ़कर 4004 हो गए। 2015 में राज्य में 4291 किसानों ने आत्महत्या की। इन आंकड़ों पर कृषि क्षेत्र के जानकारों ने चिंता व्यक्त की है। सरकार की ओेर से बताया गया है कि किसान आत्महत्या रोकने के लिए राज्य व जिला स्तर पर कमेटी गठित की गई है। कमेटी किसान आत्महत्या के मामलों की समीक्षा करके उपाय योजना करेगी।

पैकेज का नहीं मिला लाभ
राज्य में किसानों को राहत देने के लिए पैकेज की घोषणाएं तो की गई पर उनका लाभ नहीं मिल पाया है। कांग्रेस सरकार के समय कर्जमाफी पैकेज का लाभ कुछ खास वर्गों तक सीमित रहा। उसके बाद भी किसान आत्महत्या रोकने की उपाय योजनाओं का सही अमल नहीं हो पाया है। किसानों को कृषि उपज का समुचित भाव भी नहीं मिल पाता है। विविध योजनाओं के अमल की निगरानी व नियंत्रण का ठोस प्रयास नहीं दिख रहा है।
{कृपाल तुमाने, लोकसभा सदस्य रामटेक
 

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