मेडिकल में 125 लोगों की आकस्मिक मौत, 45 निकले संक्रमित 

मेडिकल में 125 लोगों की आकस्मिक मौत, 45 निकले संक्रमित 

Anita Peddulwar
Update: 2020-09-04 06:48 GMT
मेडिकल में 125 लोगों की आकस्मिक मौत, 45 निकले संक्रमित 

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में आकस्मिक मौत होने के मामले बढ़ गए हैं। 1 से 25 अगस्त तक के आंकड़ों पर गौर करें तो 250 लोगों की अचानक तबीयत बिगड़ी और उनकी मौके पर या इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो गई। इनमें से 125 लोगों ने मेडिकल अस्पताल में दम तोड़ा। खास बात यह है कि मेडिकल अस्पताल में दम तोड़ने वाले 125 में से 45 की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि संक्रमण कितनी तेजी से बढ़ रहा है।

दरअसल, ये ऐसे मामले में, जिसमें कोरोना जैसी बीमारी के लक्षण नहीं थे। ये ठीक-ठाक थे और अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल लाए गए। अगर ये अस्पताल नहीं लाए गए होते तो शायद इनके पॉजिटिव होने की जानकारी भी सामने नहीं आती। दूसरी ओर, मेयो अस्पताल में 25 जुलाई से लेकर 25 अगस्त तक 73 लोगों की आकस्मिक मौत हुई। इसमें से करीब 13 लोग पॉजिटिव मिले हैं। विशेष यह कि मृत लोगों में 45-55 वर्ष के लोग शामिल हैं।

औसतन 12 आकस्मिक मौत के मामले रोज होते हैं दर्ज
आंकड़ों पर गौर करें तो औसतन हर रोज 12 आकस्मिक मौत हो रही है। शहर के सरकारी अस्पताल के एक डॉक्टर ने बताया कि कोरोना से होने वाली मौत में पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। आकस्मिक मौत वालों का पोस्टमार्टम किया जाता है। आकस्मिक मौत के बढ़ रहे आंकड़े कई बार सरकारी अस्पतालों के शव विच्छेदन कक्ष के कर्मचारियों की चिंता बढ़ा देते हैं। हालात ऐसे बन रहे हैं कि पोस्टमार्टम हाउस में शव रखने तक की जगह कम पड़ती जा रही है।

ये बात तो डाॅक्टरों पर निर्भर है
कोरोना संक्रमणकाल में किसी भी मृत व्यक्ति की कोरोना जांच का निर्णय डॉक्टर लेते हैं। पुलिस को एमएलसी मिलने पर मृतक के बारे में जानकारी मिलती है। -डॉ. नीलेश भरणे, प्रभारी सह पुलिस आयुक्त, नागपुर, शहर

कोरोना जांच जरूरी है
वर्तमान स्थिति को देखते हुए अगर किसी की आकस्मिक मौत होती है, तो उसकी कोरोना जांच जरूरी है। कोरोना मरीजों का पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है, जबकि आकस्मिक मौत में शव विच्छेदन किया जाता है।  -डॉ. अविनाश गावंडे, अधीक्षक, शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल
 

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