करोड़ों साल पहले समुद्र के नीचे था वणी, सायनो बैक्टीरिया स्ट्रोमाटोलाइट के 150 करोड़ साल पुराने जीवाश्म मिले

करोड़ों साल पहले समुद्र के नीचे था वणी, सायनो बैक्टीरिया स्ट्रोमाटोलाइट के 150 करोड़ साल पुराने जीवाश्म मिले

Anita Peddulwar
Update: 2021-06-19 08:57 GMT
करोड़ों साल पहले समुद्र के नीचे था वणी, सायनो बैक्टीरिया स्ट्रोमाटोलाइट के 150 करोड़ साल पुराने जीवाश्म मिले

डिजिटल डेस्क, यवतमाल । पर्यावरण एवं भूगोल विशेषज्ञ प्रा. सुरेश चोपणे ने यवतमाल जिले के वणी में सायनो बैक्टीरिया स्ट्रोमाटोलाइट के 150 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्म खोजने का दावा किया है। ये जीवाश्म वणी के बोर्डा व मोहुर्ली परिसर में चूने के पत्थर (चुनखड़ी) में पाए गए हैं। चोपणे के अनुसार जीवाश्म देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि करोड़ों साल पहले वणी समुद्र के नीचे था। उनका दावा है कि यवतमाल जिले के 5 स्थानों पर पाषाण युग के और चार स्थानों पर करोड़ों साल पुराने शंख और सीप के जीवाश्म भी पाए जा चुके हैं। मूल रूप से वणी निवासी चोपणे पिछले दो वर्ष से इस जीवाश्म की खोज कर रहे थे। उन्होंने बताया कि भारत में राजस्थान के भोजुंदा, मध्यप्रदेश के चित्रकूट, महाराष्ट्र के चंद्रपुर व वणी में यह जीवाश्म पाए जा चुके हैं। इस खोज से वणी शहर के प्राचीनतम भौगोलिक इतिहास का पता चल सकता है। 

सागर के उथले गर्म पानी में विकसित हुए थे सायनो बैक्टीरिया
वणी में मिले जीवाश्म निओ-प्रोटेरोजोइक काल के सायनो बैक्टीरिया स्ट्रोमाटोलाइट के हैं। ये पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के समय सागर के उथले गर्म पानी में विकसित हुए थे। खनिज खाने वाले इन्हीं सूक्ष्मजीवों से मछली, सरीसृप, डायनासोर और मनुष्य जैसे बहुपेशीय प्राणी विकसित हुए। क्रिटेशियस काल में भूगर्भीय बदलावों के चलते सागर सिमटा और उथले पानी की कीचड़ का रूपांतरण चूने के पत्थरों के रूप में हुआ, तब ये सूक्ष्मजीव इनमें दब गए। 

चूने के पत्थर में सायनो बैक्टीरिया स्ट्रोमाटोलाइट के जीवाश्म पहली बार मिले हैं। हालांकि, भारत के बाहर ऑस्ट्रेलिया में ऐसे जीवाश्म मिल चुके हैं। इनकी खोज से वणी के प्राचीनतम भौगोलिक इतिहास का पता चलता है। अब वणी का नाम विश्वस्तर पर चमकेगा। वहीं, जीवविज्ञान, भूगर्भ शास्त्र और जीवाश्म शास्त्र के अध्ययन को भी गति मिलेगी। 
- प्रा. सुरेश चोपणे, पर्यावरण एवं भूगोल विशेषज्ञ

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