21 साल बाद दंपति की हत्या मामले से बरी 9 आरोपियों की रिहाई के आदेश बरकरार

21 साल बाद दंपति की हत्या मामले से बरी 9 आरोपियों की रिहाई के आदेश बरकरार

Tejinder Singh
Update: 2018-11-09 14:25 GMT
21 साल बाद दंपति की हत्या मामले से बरी 9 आरोपियों की रिहाई के आदेश बरकरार

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने 21 साल बाद दंपति की हत्या के मामले से बरी नौ आरोपियों की रिहाई के आदेश को बरकरार रखा है। सभी आरोपी दंपति के परिवारवाले थे और वे नहीं चाहते थे की दोनों एक दूसरे के साथ रहे। पुणे सत्र न्यायालय ने 1997 में सभी नौ आरोपियों को इस मामले से बरी कर दिया था। राज्य सरकार ने इन आरोपियों की रिहाई के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। 

दरअसल गंगूबाई गोरे के परिवारवाले बालू थोपटे उर्फ शिवाजी नामक युवक के साथ संबंध के खिलाफ थे। फिर भी दोनों एक साथ रहते थे। अभियोजन पक्ष के मुताबिक 6 जून 1995 को गोरे व शिवाजी अचानक लपता हो गए। इसके बाद गोरे के पिता ने पुणे इलाके के पुलिस स्टेशन में अपनी बेटी की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। 11 दिन बाद दोनों की लाश एक कुए में मिली। इस घटना के बाद पुलिस ने गोरे के नौ रिश्तेदारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया और जांच के बाद पुणे कोर्ट में आरोपपत्र दायर किया। पुणे सत्र न्यायालय ने सभी आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया। पुणे सत्र न्यायालय के फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी।  

जस्टिस एसएस शिंदे व जस्टिस अजय गडकरी की खंडपीठ के सामने अपील पर सुनवाई। मामले से जुड़े तथ्यों पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि यह पूरा मामला परिस्थिति जन्य साक्ष्य पर आधारित है। अभियोजनपक्ष दंपति की हत्या के घटनाक्रम को जोड़ नहीं पाया। इसके अलावा दंपति का शव भी काफी खराब स्थिति में मिला था। जिस वजह से चिकित्सा अधिकारी भी दंपति की मौत की सही वजह का पता नहीं लगा पाए।

लिहाजा प्रकरण से जुड़े आरोपियों को दंपति की हत्या के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता है। यह कहते हुए खंडपीठ ने पुणे सत्र न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और सरकार की अपील को खारिज कर दिया। 

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