अमरावती के प्रोजेक्ट में ठेकेदारों को दे दिए 22 करोड़ ज्यादा, दोषी अधिकारियों पर करें कार्रवाई : गोपालदास

अमरावती के प्रोजेक्ट में ठेकेदारों को दे दिए 22 करोड़ ज्यादा, दोषी अधिकारियों पर करें कार्रवाई : गोपालदास

Anita Peddulwar
Update: 2018-07-20 10:27 GMT
अमरावती के प्रोजेक्ट में ठेकेदारों को दे दिए 22 करोड़ ज्यादा, दोषी अधिकारियों पर करें कार्रवाई : गोपालदास

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोक लेखा समिति के प्रमुख गोपाल दास अग्रवाल ने मीडिया से चर्चा के दौरान बताया कि जलसंपदा विभाग के प्रकल्पों का दौरा करने के बाद यह बात ध्यान में आई कि अमरावती के वास्तविक प्रकल्प में ठेकेदार को 22 करोड़ 5000000 का अतिरिक्त भुगतान कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जॉब प्रकल्प 120 करोड़ का था और इस पर 257 करोड का खर्च हुआ। अधिकारियों की लापरवाही के कारण ठेकेदार को 22 करोड़ 5000000 का ज्यादा का भुगतान किया गया इसके लिए उन्होंने दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्यवाही करने की सिफारिश अपनी रिपोर्ट में की है । साथ ही ठेकेदार से अतिरिक्त दी गई राशि वसूल करने की भी सूचना की गई है।

उन्होंने बताया कि कोकण के कुएं प्रकल्प में  1127 करोड़ का खर्च किया गया और यह सारा खर्च बेकार गया। उस क्षेत्र की एक हेक्टर जमीन भी सिंचित नहीं हुई। दोषियों पर कार्रवाई  भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो से करवाने की मांग उन्होंने की।उन्होंने कहा कि जो अधिकारी रिटायर्ड हुए हैं और यदि वे दोषी हैं तो उन पर भी कार्रवाई की सिफारिश सरकार को दी रिपोर्ट में की गई है। उन्होंने कहा कि बुटीबोरी के अनेक प्रकल्प बंद हुए हैं। इसी तरह बुटीबोरी एमआईडीसी में जिन लोगों ने जगह ली है। वहां पर भी अभी तक उद्योग नहीं लगे हैं। विदर्भ में सिंचाई का बैकलॉग पूरा करने की मांग करते हुए कहा कि जब तक बैकलॉग पूरा नहीं होता तब तक विदर्भ में किसान आत्महत्या नहीं रुकेगी।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य के प्रोजेक्ट के लिए 3800 करोड़ की निधि देने की घोषणा की है, परंतु यह निधि एक साथ नहीं 5 साल में मिलेगी साथ ही विदर्भ के केवल 6 जिलों को ही मिलेगी यानी विदर्भ के सभी लंबित प्रोजेक्ट को इसका लाभ नहीं मिलेगा । उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्व विदर्भ के जिलों को इसका बहुत ज्यादा लाभ नहीं मिलेगा उन्होंने कहा कि समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपने के साथ ही जरूरी सूचना व सुझाव भी दिए हैं।

अग्रवाल ने आरोप लगाया कि मत्स्य व्यवसाय विकास का नियोजन पर्याप्त नहीं था और वार्षिक विकास कार्यक्रम पंचवार्षिक योजना से नहीं लिया गया था इसी तरह राज्य के भू जलाशय मत्स्य संपत्ति मच्छीमार विषयक संबंधी जानकारी विश्वसनीय नहीं थी जिस कारण नियोजन प्रक्रिया पर विपरीत परिणाम हुआ । सदोष नियोजन और धीमी रफ्तार के कारण मछुआरों के कल्याण के लिए लाई गई योजनाओं के अमल पर प्रतिकूल असर हुआ है।
 

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