महाराष्ट्र में 11 माह में 2270 किसानों ने की आत्महत्या 

महाराष्ट्र में 11 माह में 2270 किसानों ने की आत्महत्या 

Anita Peddulwar
Update: 2021-01-07 12:42 GMT
महाराष्ट्र में 11 माह में 2270 किसानों ने की आत्महत्या 

डिजिटल डेस्क,मुंबई। कर्जमाफी के बावजूद किसानों की आत्महत्या के मामले थमते नजर नहीं आ रहे हैं। सूचना अधिकार (आरटीआई) के तहत मिली जानकारी के मुताबिक साल 2020 के पहले 11 महीनों में 2270 किसानों ने आत्महत्या का रास्ता चुना है। इनमें से सिर्फ 920 किसानों के परिवारों को एक-एक लाख रुपए सानुग्रह राशि के तौर पर दिए गए हैं। जबकि साल 2019 में कुल 2808 किसानों ने आत्महत्या की थी जिनमें से 1578 किसानों के परिवार को सरकार की ओर से एक-एक लाख रुपए आर्थिक मदद दी गई थी।    आरटीआई से मिले आंकड़ों से साफ है कि आत्महत्या करने वाले जिन किसानों के परिवारों को सरकार ने सानुग्रह राशि नहीं दी उनमें से ज्यादातर विदर्भ के हैं। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाडगे को जो जानकारी उपलब्ध कराई गई है उसके मुताबिक 1 जनवरी से 30 नवंबर 2020 तक राज्य में कुल 2270 किसानों ने आत्महत्या की है। 

नागपुर-अमरावती विभाग में सर्वाधिक खुदकुशी 
इस साल भी विदर्भ के अमरावती और नागपुर विभागों में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। अमरावती विभाग में किसानों के आत्महत्या के 990 मामले सामने आएं हैं जिनमें से 348 परिवारों को मुआवजे का पात्र जबकि 411 को अपात्र घोषित कर दिया गया है। 231 दावों की जांच अभी लंबित है। आत्महत्या करने वाले किसानों में से 283 के परिवारों को सानुग्रह राशि दे दी गई है। वहीं नागपुर विभाग में किसानों की आत्महत्या के 240 मामले हुए हैं जिनमें से 42 को पात्र और 75 को अपात्र घोषित कर दिया गया है। 123 मामलों की जांच की जा रही है। 42 परिवारों को आर्थिक मदद दी जा चुकी है। यवतमाल जिले में सबसे ज्यादा 295 किसानों ने आत्महत्या की है जबकि अमरावती जिले में आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या 248 है। 

औरंगाबाद विभाग ने 693 किसानों ने दी जान 
औरंगाबाद विभाग के 693 किसानों ने आत्महत्या की है। इनमें से 392 को मुआवजे का पात्र जबकि 206 को अपात्र घोषित कर दिया गया है। 95 दावों पर अभी जांच जारी है। कोकण विभाग में 2020 के पहले 11 महीनों में किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की है। घाडगे ने कहा कि एक ओर कर्जमाफी किसान आत्महत्या रोक पाने में नाकाम साबित हो रही है ऊपर से केंद्र सरकार का नया कृषि कानून ने आग में घी का काम करेगा क्योंकि इसमें एमएसपी को कानूनी दर्ज नहीं दिया गया है। किसानों के लिए बैंक्रप्सी कानून बनाया जाना चाहिए जिससे कर्ज के जाल में फंसे किसान आत्महत्या का रास्ता न अपनाए। द यंग व्हिसलब्लोअर फाउंडेशन के सदस्य अभिजीत मालुसरे ने कहा कि बड़ी संख्या में किसानों को सानुग्रह राशि देने से इनकार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर हम जल्द ही हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

साल                      आत्महत्या    पात्र     अपात्र    लंबित
2020(नवंबर तक)       2270        920    833    517

2019                      2808      1578    803    427

2020 में किस विभाग में कितनी किसान आत्महत्याएं
अमरावती-990,
नागपुर-240, 
औरंगाबाद-693, 
नाशिक-322, 
पुणे-25, 
कोकण-0

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