गोंदिया के 711 किसानों ने खेतों में लगाए सोलर कृषि पंप

गोंदिया के 711 किसानों ने खेतों में लगाए सोलर कृषि पंप

Anita Peddulwar
Update: 2020-10-27 10:08 GMT
गोंदिया के 711 किसानों ने खेतों में लगाए सोलर कृषि पंप

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। महंगाई के इस दौर में किसानों के लिए कृषि पंप का अनाप-शनाप बिजली बिल एवं लोडशेडिंग मुसीबत बन गए हैं, जिनसे अब उन्हेंं छुटकारा मिलने लगा है। मुख्यमंत्री सौर कृषि पंप योजना के माध्यम से गोंदिया जिले के 711 किसानों ने अपने खेतों में सोलर कृषि पंप लगाए हैं जो बिना किसी बिजली बिल एवं लोडशेडिंग के टेंशन बिना खेतों में लहलहाती फसलों को सिंचित कर रहे हैं।  बता दें कि गोंदिया जिले में सर्वाधिक धान की खेती होती है। इस खेती को अन्य फसलों की तुलना में सर्वाधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसके लिए किसानों को दिन-रात मोटर पंप शुरू रखने पड़ते हैं। बिजली पर चलने वाले मोटर पंप दिन-रात शुरू रहने से उनका अनाप-शनाप बिल किसानों की नींद उड़ा देता है। वहीं लोडशेडिंग के कारण समय पर फसलों को सिंचाई न होने से फसलें सूख जाती हैं, जिससे त्रस्त होकर अनेक किसानों ने बिजली कनेक्शन काटकर आधूनिक सोलर पंप लगवाना शुरू कर दिया है।

एससी, एसटी को 95 प्रतिशत एवं जनरल किसानों को 90  प्रतिशत अनुदान के आधार पर लाखों रुपए का सोलर पंप सेट महावितरण के माध्यम से खेतों में खुदाई किए गए बोरवेल एवं कुओं पर इंस्टाल करवा दिया जाता है। इंस्टाल होते ही यह सोलर पंप आवश्यकता के अनुसार चलाने पर न बिजली  बिल का टेंशन रहता है और ना ही लोडशेडिंग का डर, जिससे अब सोलर पंप की मांग बढऩे लगी है। जिले में कुल 992 किसानों ने सोलर पंप की डिमांड राशि भरी है, जिनमें से 711 सोलर पंप कनेक्शन का इंस्टालेशन पूरा हुआ है। वहीं अन्य 201 किसानों के खेतों में पंप इंस्टालेशन के कार्य शुरू है। इस योजना से किसानों के जीवन में खुशहाली आने लगी है। 

विद्युत बिल व लोडशेडिंग की समस्या से मिला छुटकारा 
बिजली पर चलने वाले मोटर पंप का अनाप-शनाप बिल आ रहा था, जिसका भुगतान करने में काफी परेशानियां सहनी पड़ती थी। ग्रीष्मकाल में लोडशेंडिग अधिक होने पर धान को सिंचाई करना मुश्किल हो जाने से फसलें सूखने का डर रहता था। लेकिन हमने अब तीन एचपी का सोलर पंप लगवाया है। जो सुबह से शाम तक चलते रहता है। अब न बिजली बिल का टेंशन है और ना ही लोडशेंडिंग का डर। अनुदान पर सोलर पंप मिलने से लागत भी कम है। 
- चंद्रनाथ बहेकार, किसान कन्हारटोला (पानगांव)

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