रेलवे पर किया भरोसा, नौकरी भी गई और बच्चों को रोजगार भी नहीं मिला

रेलवे पर किया भरोसा, नौकरी भी गई और बच्चों को रोजगार भी नहीं मिला

Bhaskar Hindi
Update: 2018-08-29 08:03 GMT
रेलवे पर किया भरोसा, नौकरी भी गई और बच्चों को रोजगार भी नहीं मिला

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। रेलवे बोर्ड की लुभावनी स्कीम में कई रेल कर्मचारियों ने स्वास्थ्य खराब होने पर यह सोचकर रिटायर होने से पहले नौकरी छोड़ दी कि रेलवे उनके बच्चों को नौकरी दे देगा और उनके परिवारों की जीविका चलती रहेगी। रेलवे ने ऐसे कर्मचारियों को सब्जबाग दिखाकर रिटायर तो कर दिया लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद आज तक कर्मचारियों के बच्चों को नौकरी नहीं मिल पाई है, जिसकी वजह से रेलवे की मनमानी का शिकार हो चुके कर्मचारियों के सामने आज भूखों-मरने की नौबत आ गई है। रेलवे बोर्ड से छले गए कर्मचारियों के हित में अब कर्मचारी संघ लड़ाई तेज करने की तैयारी कर रहा है।

2004 में चालू किया था, उसके बाद अड़ंगेबाजी
जानकारों के अनुसार रेलवे ने लार्जेस स्कीम को वर्ष 2004 में लागू किया था और उसी के बाद खासतौर पर ग्रुप डी के कर्मचारियों ने रेलवे की लुभावनी योजना का लाभ लेने के लिए रिटायर होने के कुछ समय पहले अपने बच्चों को बेहतर रोजगार मिलने की उम्मीद में नौकरी छोड़ दी थी और उस समय रेलवे बोर्ड ने उनके बच्चों को रोजगार देने का आश्वासन दिया था। उसके बाद स्कीम को लेकर अड़ंगेबाजी का दौर चला, जिसे देखते हुए रेलवे ने 27 अक्टूबर 2017 को होल्ड पर डाल दिया। इसका असर यह हुआ कि ग्रुप डी के ट्रैकमैन और रनिंग स्टाफ ने रेलवे के आश्वासन पर नौकरी छोड़ दी थी, उन्हें फिर से नौकरी नहीं मिली और उनके बच्चों को भी उनकी जगह नौकरी नहीं मिलने से कई परिवारों को जीविका चलाने में आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

कर्मचारियों की आवाज को बुलंद किया जाएगा
वहीं पश्चिम मध्य रेलवे मजदूर संघ के कार्यकारी महामंत्री सतीश कुुमार ने बताया कि लार्जेस स्कीम के नाम पर ग्रुप डी के कर्मचारियों के साथ खिलवाड़ किया गया है। अब संघ कर्मचारियों की आवाज को बुलंद करेगा। उन्होंने कहा कि जो कर्मचारी लार्जेस के नाम पर नौकरी से वंचित हो गए हैं, उनके बच्चों के मेडिकल फिट और फॉर्म वैरिफिकेशन हो चुके हैं, उन्हें नौकरी का लाभ दिया जाना चाहिए। लार्जेस स्कीम को चालू कर उसके तहत नियुक्तियां होनी चाहिए और सभी जोन में इसका लाभ कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेलवे की मनमानी की वजह से नौकरी कर रहे कर्मचारियों की नौकरियां चलीं गईं और रेलवे ने उनके बच्चों को भी जॉब नहीं दिया। नौकरी के लिए उनके बच्चों की उम्र निकली जा रही है इसलिए हजारों कर्मचारियों की भलाई के लिए अब जंग लड़ी जाएगी।

 

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