पत्नी के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कैदी को पैरोल न देने वाली याचिका खारिज

पत्नी के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कैदी को पैरोल न देने वाली याचिका खारिज

Anita Peddulwar
Update: 2018-11-24 14:26 GMT
पत्नी के किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कैदी को पैरोल न देने वाली याचिका खारिज

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने पत्नी के किडनी ट्रांसप्लांट से जुड़े इलाज के लिए एक सजायाफ्ता कैदी को पैरोल न देने के अमरावती विभागीय आयुक्त व गृह विभाग के अपर सचिव की ओर से दिए गए आदेश को खारिज कर दिया है। जस्टिस आरएम सावंत व जस्टिस वीके जाधव की बेंच ने आदेश को खारिज करते हुए अमरावती के विभागीय आयुक्त को नए सिरे से विचार कर कैदी मोहम्मद माजिद  के पैरोल के अावेदन पर चार सप्ताह के भीतर 18 दिसंबर तक निर्णय लेने का निर्देश दिया है। माजिद को साल 2006 में हुए मुंबई की लोकल ट्रेन बम धमाके के मामले में दोषी  पाया गया था। फिलहाल वह अमरावती सेंट्रेल जेल में अपनी आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

मांगी थी 30 दिन की पैरोल
माजिद ने 30 दिन की पैरोल की मांग को लेकर पहले जेल प्रशासन के पास अर्जी दी थी लेकिन जब उसे वहां से पैरोल नहीं मिली तो उसने अमरावती के विभागीय आयुक्त के पास 3 अप्रैल 2017 को अपील की।  किंतु विभागीय आयुक्त ने माजिद की ओर से पत्नी की बीमारी को लेकर पेश की गई रिपोर्ट को अस्पष्ट मानते हुए उसके आवेदन को खारिज कर दिया। विभागीय आयुक्त के पास माजिद ने गृह विभाग के अपर सचिव के पास अपील दायर की। अपर सचिव के यहां से भी माजिद को कोई राहत नहीं मिली। लिहाजा उसने हाईकोर्ट में अपील की।

माजिद की ओर से अधिवक्ता फरहाना शाह से बेंच के सामने पक्ष रखते हुए कहा कि मेरा मुवक्किल नियमों के तहत परोल पाने का हकदार है। जबकि सहायक सरकारी वकील प्राजक्ता शिंदे ने कहा कि याचिकाकर्ता कोलकाता में अपनी पत्नी के इलाज के लिए जाना चाहाता है। हमने वहां के पुलिस अधिकारियों से रिपोर्ट मंगाई थी लेकिन पुलिस अधिकारियों ने नकारात्मक रिपोर्ट दी है। इसलिए याचिकाकर्ता को परोल पर न छोड़ा जाए। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद बेंच ने अमरावती के विभागीय आयुक्त व राज्य के अपर सचिव की ओर से दायर आदेश को खारिज कर दिया और विभागीय आयुक्त को 18 दिसंबर तक नए सिरे से माजिद के पैरोल  के आवेदन पर विचार कर निर्णय लेने को कहा।

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