शिवराज सरकार पर 50 हज़ार करोड़ रुपए घोटाले का आरोप

शिवराज सरकार पर 50 हज़ार करोड़ रुपए घोटाले का आरोप

Bhaskar Hindi
Update: 2017-06-26 16:07 GMT
शिवराज सरकार पर 50 हज़ार करोड़ रुपए घोटाले का आरोप

दैनिक भास्कर न्यूज डेस्क, भोपाल। एमपी की शिवराज सिंह सरकार ने 6 निजी कंपनियों से गैर क़ानूनी समझौते कर 50 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किया है। इन कंपनियों से महंगी बिजली खरीदने के कारण आज एमपी की बिजली सबसे महंगी है। उक्त आरोप आम आदमी पार्टी नेता आलोक अग्रवाल ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एमपी में बिजली के दाम महंगे होने के कारणों की पड़ताल करने पर यह तथ्य सामने आए हैं।

क्या है यह घोटाला ?

एमपी की शिवराज सरकार ने 6 निजी कंपनियों से लगभग 1575 मेगावाट के समझौते किये। ये समझौते सिर्फ गैर क़ानूनी थे और इन समझौतों के अनुसार बिजली ख़रीदे या न खरीदें फिक्स चार्ज के 2163 करोड़ रूपये 25 वर्ष तक देने ही पड़ेंगे। सरकार ने इन निजी कंपनियों के साथ जो अनुबंध किया है वो पूर्णता गैर क़ानूनी है।

 

 

इनका विवरण निम्न प्रकार है:

- भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के तहत घोषित टेरिफ पॉलिसी दिनांक 06 जनवरी 2006

- भारत सरकार द्वारा टेरिफ पॉलिसी के सम्बन्ध में अधिसूचित स्पष्टीकरण पत्र दिनांक 09 दिसंबर 2010

- एमपी विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित विद्युत खरीदी अधिनियम 2004 संशोधित 2006

- एमपी शासन द्वारा निजी विद्युत कंपनियों से हस्ताक्षरित किये गये सम्बंधित समझौता ज्ञापन (एम।ओ।यू।) के अनुसार ये समझौते प्रतिस्पर्धात्मक बोली के आधार पर होने थे पर इसका खुला उल्लंघन करते हुए 5 कंपनियों के साथ ये समझौते एक ही दिन में 5 जनवरी 2011 को हुए। यह आश्चर्यजनक है कि समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले दो अधिकारी गजराज मेहता और संजय मोहसे उस दिन सम्बंधित पद पर पदस्थ ही नहीं थे, और तीन अधिकारीयों ए बी बाजपेयी, पी के सिंह और एन के भोगल ने एक ही दिन भोपाल में और जबलपुर में समझौतों पर हस्ताक्षर किये। यह साफ बताता है कि समझौते फर्जी हैं।

कैसे पड़ रही है जनता पर मार

वर्ष 2016-17 के आंकड़ों में चौका देने वाले आंकड़े सामने आए है जिनसे पता चला है कि जे पी बीना पावर से गत 11 महीने में 14।2 करोड़ यूनिट के लिए लगभग रु 478।26 करोड़ का भुगतान किया। जिससे औसत बिजली दर 33।68 रु/यूनिट पड़ी, इसी प्रकार झाबुआ पवार से खरीदी गयी 2।54 करोड़ यूनिट के लिए रु 214।20 करोड़ का भुगतान किया गया। जिससे बिजली खरीदी की दर रु 84।33 प्रति यूनिट पड़ी।

आज एमपी में 17,500 मेगावाट बिजली उपलब्ध है जबकि अधिकतम मांग 11,000 मेगावाट है। अतः इन निजी कंपनियों से बिजली खरीदना पूर्णतः गैर जरुरी है। इन कंपनियों आज 2163 करोड का फिक्स चार्ज का भुगतान किया जा रहा है यह सरकार द्वारा किया अवैधानिक अनुबंधनों के कारण अगले 25 वर्ष तक भरना पड़ेगा, जिसके कारण एमपी की जनता का 50,000 करोड लूट लिया जायेगा।

एमपी में निजी कंपनियों से अत्याधिक महँगे दामो पर बिजली ख़रीदी को आसान करने के लिए एमपी सरकार ने अपने स्वंय के सस्ते पावर प्लांट या तो बंद कर रखे है या आंशिक रूप से चालू रखे है। वही बाँधो में भरपूर पानी होने के बावजूद बरगी, बाणसागर और गाँधी सागर में पर्याप्त पानी होने के बावजूद इनसे न्यूनतम बिजली पैदा की जा रही है, जबकि इनसे बहुत सस्ती बिजली मिलती है।

 

आप का सीएम शिवराज से सवाल 

  • एमपी की जनता पर पड़ने वाले 50,000 करोड़ की लूट का कौन जिम्मेदार है।
  •  जे पी पावर, बीना पावर, बी एल ए पावर, झाबुआ पावर, एमबी पावर से शिवराज सरकार को क्या फायदा मिला है, जो उनके साथ इतनी महंगी दर के अनुबंध किए गए?
  • तीन अधिकारी भोपाल और जबलपुर में एक साथ हुए अनुबंध में कैसे उपस्थित था?
  • दो अधिकारी जो उस समय सम्बंधित पद पर पदस्थ नही थे फिर उनके हस्ताक्षर अनुबंध में कैसे हुए?

 

आम आदमी पार्टी की मांग 

  • शिवराज सिंह चौहान इस घोटाले के लिए तत्काल इस्तीफा दें।
  • इस पुरे घोटाले की निष्पक्ष जांच सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में एस आई टी द्वारा की जाए।
  • सभी निजी अनुबंध रद्द कर, जाए ताकि जनता को सस्ती बिजली उपलब्ध कराई जा सके।
  • सभी सरकारी पावर प्लांट को पुनः चालू किया कर सस्ती बिजली का उत्पादन किया जाए।

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