सभी पीजी विभागों को अकादमिक स्वायत्त दर्जा, होगा बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन

यूनिवर्सिटी का निर्णय सभी पीजी विभागों को अकादमिक स्वायत्त दर्जा, होगा बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन

Anita Peddulwar
Update: 2021-10-21 04:26 GMT
सभी पीजी विभागों को अकादमिक स्वायत्त दर्जा, होगा बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अपनी शतकपूर्ति की ओर बढ़ रहे राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय ने अमरावती रोड स्थित अपने कैंपस के सभी पोस्ट ग्रेजुएट विभागों को स्वायत्तता प्रदान कर दी है। विवि प्रशासन ने सभी पीजी विभागों को अपने बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन करके अपने पाठ्यक्रम स्वयं तैयार करने, परीक्षा का आयोजन खुद करने से लेकर अन्य प्रकार की अकादमिक स्वायत्तता प्रदान की है। वर्तमान में मौजूद विवि के बोर्ड ऑफ स्टडीज और परीक्षा विभाग ही संलग्नित कॉलेजों की जिम्मेदारी संभालेंगे।

इसी सत्र से होगा लागू
विश्वविद्यालय ने इसी शैक्षणिक सत्र से इस फैसले को लागू कर दिया है। विवि कुलगुरु डॉ.सुभाष चौधरी का दावा है कि पीजी विभागों को स्वायत्तता  देने से उनकी गुणवत्ता में सुधार होगा। न केवल पाठ्यक्रम का स्तर बढ़ेगा, बल्कि विभागों में शोध कार्य को भी बढ़ावा मिलेगा। उल्लेखनीय है कि हाल ही में नैक द्वारा विश्वविद्यालय को ‘ए’ ग्रेड का दर्जा दिया गया है। नैक मूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय ने अपने सिस्टम में कई बदलाव किए। कई बदलाव भविष्य में करने का नैक को आश्वासन भी दिया गया। इसी की पूर्ति करते हुए विवि ने पीजी विभागों को स्वायत्तता प्रदान की है। उल्लेखनीय है नागपुर विवि के कैंपस में 41 पीजी विभाग हैं, जिनमें करीब 4 हजार विद्यार्थी शिक्षा लेते हैं।

बदलाव के कारण
दरअसल, नागपुर विश्वविद्यालय से करीब 500 कॉलेज संलग्नित हैं। ये काॅलेज नागपुर के अलावा गोंदिया, भंडारा और वर्धा में स्थित हैं। विवि के सभी कोर्स का पाठ्यक्रम तय करने के लिए विविध बोर्ड ऑफ स्टडीज का गठन किया गया है। एक-एक बोर्ड ऑफ स्टडी पूरे कोर्स का पाठ्यक्रम तय करता है। ऐसे में एक ही चाल से सभी संस्थानों को चलना होता है। इस सामूहिक प्रक्रिया के कारण कई प्राचीन और अकादमिक क्षमता वाले संस्थान तेज गति से विकास नहीं कर पाते। इसीलिए संस्थानों को स्वायत्त बना कर विकास की पूरी छूट देने की वकालत शिक्षा जगत की ओर से की जाती है।

ये है मुख्य चुनौती
विवि कुलगुरु डॉ.चौधरी का दावा है कि विभागों को स्वायत्त बनाने से उनकी गुणवत्ता बढ़ेगी। प्रत्येक पीजी विभाग का अपना बोर्ड ऑफ स्टडी होगा। लेकिन विवि में बीते अनेक वर्षों से शिक्षक पदभर्ती नहीं हुई है। कई पीजी विभाग तो एक नियमित प्राध्यापक के भरोसे चल रहे हैं। शिक्षकों के अधिकांश पद रिक्त हैं। ऐसे में यहां कांट्रैक्ट और सीएचबी शिक्षकों की मदद से पढ़ाई होती है। नियमित प्राध्यापकों के अभाव में पीजी विभाग कैसे संचालित होंगे, यह मुख्य चुनौती है।

 

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