पहचान नहीं हो सकी थी इसलिए यौन उत्पीड़न के आरोपी को मिली जमानत 

पहचान नहीं हो सकी थी इसलिए यौन उत्पीड़न के आरोपी को मिली जमानत 

Bhaskar Hindi
Update: 2019-11-13 04:54 GMT
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। पहचान न हो पाने के बावजूद यौन उत्पीड़न के मामले में दोषी ठहराए गए एक आरोपी को बांबे हाईकोर्ट ने जमानत प्रदान कर दी है। मदरसे में पढाने वाले आरोपी अजीजुल्ला चौधरी पर एक नाबालिग लड़की ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। पीड़िता ने दावा किया था कि उसके साथ मदरसे के हाफिजी ने यौन उत्पीड़न किया था। पाक्सो कोर्ट ने आरोपी चौधरी को इस मामले में दोषी ठहराते हुए पांच साल के कारावास की सजा सुनाई थी। इस सजा पर रोक लगाने व जमानत दिए जाने की मांग को लेकर चौधरी ने हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। 

न्यायमूर्ति पीएन देशमुख के सामने चौधरी के आवेदन पर सुनवाई हुई। इस दौरान चौधरी की ओर से पैरवी करने वाली वकील अंजली पाटील ने कहा कि मदरसे में पढाने वाले हर शिक्षक व कुरान के जानकर को ‘हाफिजी’ कहा जाता है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान पुलिस ने कोई पहचान परेड नहीं कराई है।। ऐसे में इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता है कि पीड़िता जिस हाफिजी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है वह मेरा मुवक्किल ही है। मेरे मुवक्किल को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया है। 

वहीं सरकारी वकील ने कहा कि इस मामले से जुड़ी पीड़िता घटना के समय आठ साल की थी। ऐसे में उसकी ओर से दी गई गवाही पर अविश्वास दर्शाना उचित नहीं है। मामले से जुड़े सबूतों व तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि आरोपी की इस प्रकरण से संबंधित अपराध में पहचान सिद्ध नहीं हो पाई पाई है। इसलिए उसे 20 हजार रुपए के मुचलके व एक जमानत देने की स्थिति में जमानत प्रदान की जाती है।

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