जंगल की जमीन का उपयोग करने वाले 20 हजार लोगों पर होगी कार्रवाई

जंगल की जमीन का उपयोग करने वाले 20 हजार लोगों पर होगी कार्रवाई

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-21 06:11 GMT
जंगल की जमीन का उपयोग करने वाले 20 हजार लोगों पर होगी कार्रवाई

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जंगल की जमीन का गलत तरीके से उपयोग कर रहे राज्य के 20 हजार लोगों पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है।  देश के सर्वोच्च न्यायालय ने वन हक अधिनियम के तहत गलत तरीके से लाभ ले रहे लोगों का अतिक्रमण हटाने के आदेश राज्य के मुख्य सचिव  को दिए हैं। संबंधित अधिनियम में जंगल के उपयोग के लिए आवेदन करने वालों में से जिनके आवेदन राज्य सरकार ने खारिज किए हैं, उन्हें वन क्षेत्र से हटाने की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे करीब 20 हजार लोग महाराष्ट्र में हैं। 

शेड्यूल ट्राइब्स एंड अदर फॉरेस्ट ड्वेलर्स एक्ट के तहत किसी वन क्षेत्र में कई पीढ़ियों से रह रहे आदिवासियों व अन्य समुदायों के वन हक की रक्षा का उल्लेख है और उन्हें वन संपत्ति के इस्तेमाल के अधिकार भी दिए गए हैं, लेकिन इस अधिनियम का दुरुपयोग भी जमकर हो रहा है। कई लोग प्रभावित नहीं होने के बावजूद सरकारी अधिकारियों के संरक्षण से इस योजना का लाभ रहे रहे हैं और जो वाकई जरूरतमंद हैं, वे असली लाभ से वंचित हैं। यह मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में है। उल्लेखनीय है कि इस प्रकार की एक सू-मोटो जनहित याचिका नागपुर खंडपीठ में भी लंबित है।

वन हक अधिनियम के तहत जंगल के इस्तेमाल के लिए कौन पात्र है और कौन नहीं, यह स्पष्ट किया गया है। इसमें उल्लेख है कि कोई भी महज अनुसूचित जनजाति समुदाय या फिर तीन पीढ़ियों से संबंधित क्षेत्र में रहने के कारण लाभार्थी की श्रेणी में नहीं आ सकता, बल्कि उसे यह साबित करना होता है कि उसका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी उसी वन क्षेत्र में बसा है और उसकी आजीविका जंगल पर ही निर्भर करती है।

बता दें कि इस मामले में राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में जानकारी दी थी कि उन्हें अनुसूचित जनजाति प्रवर्ग से 2 लाख 45 हजार 42 और जंगल में रहने वाले अन्य समुदाय के 1 लाख 5 हजार 691 यानी कुल 3 लाख 59 हजार 509 लोगों के आवेदन मिले थे, जिसमें से उन्होंने 13 हजार 712 अनुसूचित जनजाति और अन्य समुदाय के 8 हजार 797 लोगों के दावे खारिज किए थे। ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि एक बार आवेदन खारिज होने के बाद उनका जंगल की जमीन का उपयोग करना सही नहीं है।

Similar News