राज्य के मूल निवासी छात्रों को ही मिलेगा NEET में एडमीशन- हाईकोर्ट

राज्य के मूल निवासी छात्रों को ही मिलेगा NEET में एडमीशन- हाईकोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-23 14:38 GMT
राज्य के मूल निवासी छात्रों को ही मिलेगा NEET में एडमीशन- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । नीट 2017 की काउंसिलिंग में मध्य प्रदेश के बजाए दूसरे राज्य के छात्रों को दिए गए एडमीशनों को चुनौती देने वाले मामलों का हाईकोर्ट ने पटाक्षेप कर दिया है। नीट 2017 में हुए गलत एडमीशन हाईकोर्ट पहले ही निरस्त कर चुका है। शुक्रवार को जस्टिस आरएस झा और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की युगलपीठ ने इस साल होने वाली नीट 2018 के लिए मूलनिवासी की बाध्यता में छूट तो दे दी, लेकिन यह आदेश भी दिया कि अगले साल से होने वाली नीट के लिए उसे (सीबीएसई को) हर एक छात्र के बारे में बताना होगा कि वो छात्र किस राज्य का है। सीबीएसई को कहा गया है कि वो हर एक छात्र से फार्म में जानकारी ले कि वो किस राज्य का मूल निवासी है।
युगलपीठ ने ये निर्देश जबलपुर की मेडिकल छात्रा तारिषी वर्मा की ओर से दायर 7 याचिकाओं पर दिए। इन मामलों में मेडिकल कोर्स की वर्ष 2017 कीकाउंसिलिंग पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। आरोप था कि सरकारी कोटे में मप्र के मूल निवासी छात्रों के लिए आरक्षित सीटों पर उप्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के करीब सैकड़ों छात्रों को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एडमीशन दिया गया है। इतना ही नहीं, दूसरे राज्यों के कुछ और छात्र भी दूसरे दौर की काउंसिलिंग में शामिल होने वाले हैं। गलत एडमीशनों के बारे में दस्तावेजों के साथ की गई शिकायत के बाद भी संबंधित अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई न करने का आरोप विनायक परिहार की याचिका में लगाया गया था। विगत 24 अगस्त को मामलों पर हुई सुनवाई के बाद युगलपीठ ने साफ तौर पर कहा था कि मध्य प्रदेश के सरकारी कोटे में सिर्फ और सिर्फ मप्र के ही छात्रों को दाखिला दिया जाए। युगलपीठ ने यह भी कहा था कि जिस छात्र ने नीट 2017 के आवेदन में खुद को जहां का निवासी बताया है, उसे ही अंतिम माना जाए। दो दौर की हुई काउंसिलिंग में बाहरी छात्रों को एडमीशन मिलने के मुद्दे पर युगलपीठ ने सरकार को फिर से मैरिट लिस्ट तैयार करने की स्वतंत्रता दी थी। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी,लेकिन वहां से हाईकोर्ट का आदेश यथावत रखा गया था।
मामलों पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी, अधिवक्ता आदित्य संघी, ग्रीष्म जैन, सतीश वर्मा, आकाशचौधरी, संजीव कुमार मिश्रा, लाल राजबहोरन सिंह चौहान, वायएम तिवारी, प्रवीण दुबे व मनु वी जान ने पैरवी की।

 

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