मरीजों की मौत के बाद उनके बचे इंजेक्शन की चोरी, आरोपी गिरफ्तार

मरीजों की मौत के बाद उनके बचे इंजेक्शन की चोरी, आरोपी गिरफ्तार

Anita Peddulwar
Update: 2021-04-17 10:52 GMT
मरीजों की मौत के बाद उनके बचे इंजेक्शन की चोरी, आरोपी गिरफ्तार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना महामारी के कारण जिले में हर तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई है। मरीजों को अस्पतालों में न बेड मिल रहे हैं, न ऑक्सीजन मिल रही है और न ही जीवन रक्षक दवाएं। वहीं दूसरी तरफ स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कुछ ऐसे लोगे भी हैं, जिन्होंने लोगों की मजबूरियों को पैसा कमाने का जरिया बना लिया है। ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करते हुए एक डॉक्टर और तीन वार्डबॉय को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। प्राथमिक पूछताछ में आरोपियों ने बताया है कि वे अस्पताल में मरीज की मृत्यु होने पर उसके बचे हुए रेमडेसिविर इंजेक्शन चुरा लेते थे और ऊंची कीमत पर बेचते थे। इस कालाबाजारी के तार अन्य जिलों से भी जुड़े हुए हैं। इस मामले में एक और डॉक्टर पुलिस के रडार पर है। प्रकरण में लिप्त आरोपी डॉक्टर और तीनों वार्डबॉय को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें 20 अप्रैल तक पीसीअार में भेज दिया गया है।

मजबूरी का फायदा उठाया
पुलिस के अनुसार आरोपी बीएएमएस डॉक्टर लोकेश प्रह्लाद शाहू (25) रविदास नगर कामठी, शुभम कृष्णाजी मोहदुरे (26) जयताला, कुणाल अनिल कोवडे (23) छत्रपति चौक, नागभूमि ले-आउट और सुमित लक्ष्मण बांगडे (26) अष्टविनायक अपार्टमेंट, वानाडोंगरी निवासी हैं। गुरुवार की रात पुलिस टीम में सहायक निरीक्षक विजय भिसे ने पंटर को डाॅ. लोकेश के पास भेजा। पंटर ने लोकेश को बताया कि नानकोविड सेंटर में उसका मरीज भर्ती है। उसको रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत है। अगर इंजेक्शन नहीं मिला, तो वह मर जाएगा। डॉ. लाेकेश ने जरूरतमंद की मजबूरी का फायदा उठाया और मोलभाव पर उतर आया। 

नर्सों का ड्यूटी टाइम बदलतेे ही उड़ा देते थे इंजेक्शन
डॉ. लोकेश कामठी के आशा अस्पताल सहित और भी अस्पतालों में कार्यरत है। कुणाल और शुभम स्वास्थ्यम अस्पताल तथा सुमित शालिनीताई मेघे अस्पताल में वार्डबॉय है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि अस्पताल में भर्ती मरीज की मृत्यु होने के बाद उसको लगने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन वैसे ही स्टॉक में पड़े रहते थे, जिसे वह नर्सेस की शिफ्ट चेंज होने के टाइम मौका िमलते ही चोरी कर लेते थे। बाद में इसकी कालाबाजारी कर डॉ. लोकेश की मदद से मोटी रकम कमाते थे। गायब हुए इंजेक्शनों की अस्पताल प्रबंधन ने भी कोई सुध नहीं ली।

संकेत मिलते ही दबोचा गया
तय योजना के तहत सादे लिबास में तैनात पुलिस ने चारों तरफ से घेराबंदी कर ड्रैगन टेंम्पल पैलेस के पास रास्तों को ब्लॉक कर दिया था ताकि आरोपी भाग न जाए। सब कुछ ठीक होने का संकेत मिलते ही पंटर से कुछ दूरी पर सादे लिबास मंे खड़े पुलिसकर्मी ने कंधे का गमछा नीचे गिरा कर उठाया। यह अन्य पुलिस कर्मचारियों के लिए संकेत था कि लोकेश के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन है और उसे दबोचने के लिए तैयार हो जाएं। इस तरह डॉ. लोकेश पकड़ा गया।

सख्ती बरतते ही उगले नाम
सख्ती बरतते ही डॉ. लोकेश ने रेमडेसिविर की कालाबाजारी में लिप्त अपने साथी वार्डबॉय शुभम, कुणाल और सुमित के नाम उगल दिए। इसके बाद लोकेश की मदद से अन्य आरोपियों को इंजेक्शन के ज्यादा रुपए िमलने का झांसा देकर बुला कर पकड़ा गया। उसके बाद उनके घरों में छापे मारे गए। लोकेश से 2, कुणाल से 7, सुमित से 6  यानी कुल 15 इंजेक्शन जब्त िकए गए हैं। इसमें से 9 रेमडेसिविर और 6 रेमडेक इंजेक्शन हैं। इसकी कीमत 66 हजार से अधिक की बताई जा रही है। इसके अलावा दोपहिया वाहन एमपी-50, एमयू-0276, एमएच-32, एक्स-5941 और चार मोबाइल भी जब्त िकए गए हैं। 

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