इंटरव्यू के बावजूद नामों की घोषणा टली, कुलसचिव की नियुक्ति के लिए राजनीतिक दबाव

इंटरव्यू के बावजूद नामों की घोषणा टली, कुलसचिव की नियुक्ति के लिए राजनीतिक दबाव

Anita Peddulwar
Update: 2019-09-10 09:43 GMT
इंटरव्यू के बावजूद नामों की घोषणा टली, कुलसचिव की नियुक्ति के लिए राजनीतिक दबाव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कुलसचिव और परीक्षा नियंत्रक जैसे उच्च पदों पर नियुक्ति के लिए राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में राजनीति पूरे उफान पर है। 7 सितंबर को कुलसचिव और 8 सितंबर को परीक्षा नियंत्रक पद पर नियुक्ति के लिए साक्षात्कार पूरे करने के बावजूद विश्वविद्यालय चयनित उम्मीदवार का नाम सार्वजनिक नहीं कर रहा है। सूत्रों की मानें तो बड़े राजनीतिक स्तर से दबाव के चलते ऐसा हो रहा है, यूनिवर्सिटी प्रशासन आचार संहिता लगने के इंतजार मं है, ताकि इस राजनीतिक दबाव को जरा कम किया जा सके।

यूनिवर्सिटी  के गलियारों में कुलसचिव पद पर नियुक्ति को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जानकारी के  अनुसार यूनिवर्सिटी कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे की कुलसचिव पद के लिए पहली पसंद प्रभारी कुलसचिव डॉ. नीरज खटी ही है। लेकिन उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल एक शिक्षक की राजनीतिक पकड़ है। चयनित न होने की संभावना को देखते हुए  उम्मीदवार ने अपने स्तर से जोर लगाना शुरू कर दिया है, परिणाम स्वरूप कुलगुरु पर राजनीतिक दबाव पड़ने लगा है। इससे बचने के लिए ही घोषणा टाली जा रही है। 

26 उम्मीदवारों ने किया था आवेदन
यूनिवर्सिटी को कुलसचिव पद के लिए 26 उम्मीदवारों के आवेदन प्राप्त हुए थे। चयनित 10 में से 8 उम्मीदवार साक्षात्कार के लिए पहुंचे थे। यूनिवर्सिटी में इस पद को लेकर भारी घमासान और खींचतान मची हुई थी। पूर्व कुलसचिव डॉ. पूरणचंद्र मेश्राम ने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद डॉ. काणे ने डॉ. नीरज खटी को पद का प्रभार सौंपा। इससे नाराज उप-कुलसचिव डॉ. अनिल हिरेखण ने पहले अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग की शरण ली। आयोग ने उन्हें प्रभार सौंपने की सिफारिश की, लेकिन कुलगुरु डॉ. काणे ने डॉ. हिरेखण को पद के लिए कम अनुभवी होने की बात कहकर अपना फैसला कायम रखा। अंतत: विवादों को रोकने के लिए इस पद पर स्थायी नियुक्ति करने का निर्णय लिया गया। डॉ. हिरेखण परीक्षा नियंत्रक पद के लिए अपना भाग्य आजमा रहे हैं।

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