चित्रकूट की बहुचर्चित कामदगिरि हाउसिंग सोसायटी मेें करोड़ों का गोलमाल, 43 हाईप्रोफाइल रजिस्ट्रियां खारिज

चित्रकूट की बहुचर्चित कामदगिरि हाउसिंग सोसायटी मेें करोड़ों का गोलमाल, 43 हाईप्रोफाइल रजिस्ट्रियां खारिज

Bhaskar Hindi
Update: 2019-01-24 08:34 GMT
चित्रकूट की बहुचर्चित कामदगिरि हाउसिंग सोसायटी मेें करोड़ों का गोलमाल, 43 हाईप्रोफाइल रजिस्ट्रियां खारिज

 डिजिटल डेस्क सतना। चित्रकूट की बहुचर्चित कामदगिरि हाउसिंग सोसायटी से खरीदे गए 43 हाईप्रोफाइल रजिस्ट्रियों के नामांतरणों के आवेदनों को खारिज कर दिया गया। यह निरस्तगी  नायब तहसीलदार बीएस मांझी ने की थी। थोकबंद रजिस्ट्रियों के नामांतरण के आवेदनों के खारिज होने से भू-माफियाओं के बीच हडक़म्प मच गया है। सोसायटी के इस घोटाले को सबसे पहले दैनिक भास्कर ने उजागर किया था। गौरतलब है कि हाउसिंग सोसायटी ने एक ही परिवार के कई सदस्यों को नाजायज तरीके से लाभ पहुंचाते हुए रजिस्ट्री करा दी थी।

क्या है पूरा मामला
 संस्था के अध्यक्ष आनंद मोहन मिश्रा द्वारा अनेक उपविधियों के नियम-निर्देशों को नजरअंदाज कर उपायुक्त सहकारिता के आदेश क्रक्रमांक/गृह निर्माण 2015/1037 दिनांक 16.9.15 द्वारा संस्था में नए सदस्य भर्ती न किए जाने के आदेश एवं 31 दिसम्बर 14 को जारी आदेशों की अवहेलना की गई। संस्था  की उपविधि क्रक्रमांक 6 के तहत  संस्था के कार्यक्षेत्र नयागांव, रजौला, कामता के मूल निवासियों के साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व कमजोर वर्ग के लोगों को सदस्य बनाकर वरीयता के आधार पर भूखंड देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार की आवास नीति से बंधनकारी होने के बाद भी संस्था में ऐसे लोगों को सदस्य न बनाकर अपने परिवारजनों, संस्था के पदाधिकारियों, यार-दोस्तों, रिश्तेदारों को नाजायज लाभ पहुंचाया गया। 40 बेशकीमती भू-खंडों को अध्यक्ष द्वारा अपने परिवार जनों के नाम ही कथित तौर पर खरीदे-बेचे गए थे।

ताक पर रख दी गई थी गाइडलाइन
आरोप थे कि अध्यक्ष पर खुद और कतिपय पदाधिकारियों को नाजायज लाभ पहुंचाने की मंशा से दिनांक 2, 4, 6 और 18 जुलाई को खुदरा बाजार में करीबन 10 लाख रुपए में बिकने वाले भू-खंड को कलेक्टर गाइडलाइन कीमत  4 लाख 46 हजार 80, 5 लाख 94 हजार 760, 6 लाख 24 हजार 420 एवं 8 लाख 92 हजार 160 की जगह 75 हजार, 1 लाख 25 हजार, एवं 1 लाख 50 हजार के नाम मात्र प्रीमियमों पर की गई रजिस्ट्रियों से सोसायटी को करोड़ों रुपयों की क्षति पहुंचाई गई।

जुलाई में लगी थी रोक
बता दें कि उपायुक्त सहकारिता ने जुलाई 2018 में तहसीलदार को पत्र लिखा था जिसमें कहा गया था कि संस्था के पदाधिकारियों द्वारा बगैर सक्षम अनुमति एवं सदस्यों की वरीयता क्रक्रम का उल्लंघन कर कराई गई भूखंडों की रजिस्ट्रियों के नामांतरण पर जांच पूरी होने तक रोक लगाई जाए। इसके बाद नामांतरण पर रोक लगा दी गई थी मगर अब 10 जनवरी को नायब तहसीलदार ने नामांतरण के 43 आवेदनों को ही सिरे से खारिज कर दिया।

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