नायब तहसीलदार के पदों पर दिव्यांगों की नियुक्ति क्यों नहीं,हाईकोर्ट ने किया सवाल

नायब तहसीलदार के पदों पर दिव्यांगों की नियुक्ति क्यों नहीं,हाईकोर्ट ने किया सवाल

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-10 08:04 GMT
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डिजिटल डेस्क, जबलपुर। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को नोटिस जारी कर पूछा है कि नायब तहसीलदार के रिक्त पदों पर दिव्यांगों की नियुक्ति क्यों नहीं की जा रही है। चीफ जस्टिस एसके सेठ और जस्टिस विजय शुक्ला की युगल पीठ ने अनावेदकों को 6 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। करेली निवासी राहुल वर्मा की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वे राजस्व विभाग में पटवारी के पद पर कार्यरत है। राजस्व विभाग ने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड के जरिए नायब तहसीलदार के 112 पदों के लिए विभागीय परीक्षा आयोजित कराई। नायब तहसीलदार के लिए दिव्यांगों के लिए 7 पद आरक्षित किए गए। जिसमें 3 पद अस्स्थि बाधित, 2-2 पद श्रवण और दृष्टिबाधितों के लिए थे। याचिकाकर्ता दिव्यांग कोटे से परीक्षा में शामिल हुआ था। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा घोषित किए गए परिणाम में दिव्यांग कोटे के 7 में से केवल 2 पद भरे गए। शेष 5 पद रिक्त रखे गए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अंकुर श्रीवास्तव ने तर्क दिया कि नायब तहसीलदार की परीक्षा के पूर्व दिव्यांगों और ओबीसी के लिए कट ऑफ भी तय नहीं किया गया। दिव्यांग कोटे के रिक्त पद नहीं भरे जाने से याचिकाकर्ता का नायब तहसीलदार के पद पर चयन नहीं हो पाया। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने राज्य सरकार और प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब मांगा है।

हाईकोर्ट ने किया जनहित याचिका का निराकरण 
हाईकोर्ट ने इस निर्देश के साथ जनहित याचिका का निराकरण कर दिया है कि जबलपुर के ओमती स्थित पेशकारी स्कूल से अतिक्रमण हटाने के आवेदन पर सक्षम अधिकारी निर्णय करेंगे। इसके पूर्व जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने याचिकाकर्ता का पक्ष सुना। नेहरू नगर जबलपुर निवासी अधिवक्ता जकी अहमद की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि ओमती स्थित पेशकारी स्कूल में क्षेत्र के ही रसूखदार लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। स्कूल का उपयोग वाहन पार्किंग और निजी कार्यक्रमों के लिए किया जा रहा है। याचिका में आरोपों के समर्थन में वाहन पार्किंग और निजी कार्यक्रमों के फोटोग्राफ भी पेश किए गए है। याचिका में कहा गया कि जिला शिक्षा अधिकारी के रिकॉर्ड में स्कूल चालू है, लेकिन अतिक्रमण की वजह से स्कूल में शैक्षणिक गतिविधियां ठप हो चुकी है। याचिकाकर्ता ने मामले में स्वयं पैरवी करते हुए कहा कि पेशकारी स्कूल से अतिक्रमण हटाने के लिए उसने  कलेक्टर, नगर निगम आयुक्त, पुलिस अधीक्षक और जिला शिक्षा अधिकारी को आवेदन दिया, लेकिन उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। युगल पीठ से अनुरोध किया गया कि स्कूल से अतिक्रमण हटाने के लिए सक्षम  अधिकारियों को आदेश जारी किया जाए, ताकि स्कूल में फिर से शैक्षणिक गतिविधियां प्रांरभ हो सके। प्रांरभिक सुनवाई के बाद युगल पीठ ने इस निर्देश के साथ याचिका का निराकरण कर दिया है कि अतिक्रमण हटाने के आवेदन पर सक्षम अधिकारी निर्णय करेंगे।
 

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