12 अगस्त दुनिया के खात्मे की तारीख है या नहीं, जानिए वायरल न्यूज का पूरा सच

12 अगस्त दुनिया के खात्मे की तारीख है या नहीं, जानिए वायरल न्यूज का पूरा सच

Bhaskar Hindi
Update: 2017-08-05 07:16 GMT
12 अगस्त दुनिया के खात्मे की तारीख है या नहीं, जानिए वायरल न्यूज का पूरा सच

डिजिटल डेस्क,नागपुर। 12 अगस्त वो दिन है, जब दुनिया खत्म होने वाली है। कहा जा रहा है कि इस तारीख की रात को उल्काओं के धरती से टकराने से हमारा प्लैनेट खत्म हो जाएगा। कुछ इसी तरह की डरा देने वाली भविष्य वाणियों पर आधारित ख़बरों को बढ़ा-चढ़ाकर प्रमुख धारा के मीडया और सोशल मीडिया में परोसा जा रहा है। हम आपको इस वायरल न्यूज की भ्रामक बातों के पीछे का आज सच बताने जा रहे हैं। जानिए आखिर क्या है इसकी हकीकत।

गौरतलब है कि मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पर 12 अगस्त को दुनिया के खत्म होने की चर्चा तो है, लेकिन कौन से साल में यह होने वाला है इसका उल्लेख नहीं दिया जा रहा है। हालांकि कुछ खबरों में दुनिया के खात्में का साल 2026 बताया जा रहा है। हम आपको बता दें कि ऐसा कुछ भी नहीं है। इस अनोखी खगोलीय घटना से न तो किसी को कोई नुकसान पहुंचने वाला है और न ही धरती पर कोई बड़ी आफत आने वाली है। दरअसल यह हर साल होने वाली एक खगोलीय घटना है। पृथ्वी के वायुमंडल के संपर्क में आने वाले उल्का या स्पेस डस्ट पार्टिकल जल उठते हैं, जो प्राय : किसी तारे की तरह प्रतीत होते हैं।

यह वार्षिक खगोलीय घटना
रमण विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहायक महेंद्र वाघ ने बताया कि प्रति वर्ष पृथ्वी 12 जुलाई से 24 अगस्त के दौरान अपनी परिधि में परिक्रमा के दौरान एक ऐसे स्थल पर पहुंचती है, जहां से धूमकेतु  "स्विफ्ट टट्टल" नामक धूमकेतु के गुजरने के बाद उसके पीछे छूटे अवशेषों के संपर्क में आती है। इस धूल मार्ग से पृथ्वी के गुजरने पर जब पृथ्वी की वायुमंडल के संपर्क में ये अवशेष आते हैं तो उनमें जोरदार घर्षण पैदा होता है और वे जल उठते हैं। ये "टूटे तारे" कहलाते हैं। इस दिन उल्का बौछार की दर सामान्य 80 उल्का पिंड प्रति घंटे की तुलना में दो से तीन गुना तक हो सकती है। 

इस खगोलीय घटना के बारे में हमने रमन विज्ञान केंद्र के तकनीकी सहायक महेंद्र वाघ से बातचीत की। 
सवाल : उल्कावर्षा से कोई नुकसान?
जवाब : बिलकुल नहीं।
सवाल : कोई विशेष बात?
जवाब : इस दौरान आसमान में तारे टूटने जैसे दृश्य अधिक दिखाई देते हैं।
सवाल  : कैसे देखा जा सकता है?
जवाब :  खुली जगह या घर की छत से इसे खुली आंखों से देख सकते हैं। 
सवाल  : उल्का वर्षा यानि क्या?
जवाब: उल्का वर्षा के दौरान आसमान में चमकदार लकीरों की आकृतियां बनती हैं। इसे लोग तारे का टूटना कहते हैं। लेकिन यह उल्काओं का पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के संपर्क में आने के कारण होता है।
सवाल  : कब देखें ?
जवाब : रात 10 के बाद इसे देखा जा सकता है। बशर्ते आसमान साफ हो।

2026 में फिर यह नजारा
नासा के उल्का विशेषज्ञ बिल क्रूक के मुताबिक यह परसीइड्स उल्का वर्षा सबसे प्रसिद्ध है। प्रति घंटे इससे औसत 80 उल्काओं के गिरने की दर है। परसीइड्स उल्का वर्षा धूमकेतू स्विफ्ट टट्टल के कारण बनता है। यह धूमकेतु धरती के पास से 1992 में गुजरा था। अब 2026 में फिर से यह करीब से गुजरेगा। 

चंद्रग्रहण और धृति योग 
एशियन एस्ट्रोलॉजी सेंटर सदस्य अश्विन गोस्वामी का कहना है कि चंद्रग्रहण के चार दिन बाद ही 12 अगस्त की रात 9.37 बजे धृति योग शुरू होगा। उत्तर भाद्रपद नक्षत्र में धृति योग आने के कारण दुनियाभर में इसका प्रभाव पड़ेगा। भारत में मध्यरात्रि में यह पहुंचने के कारण कोई विशेष असर नहीं होगा। समुद्र, तालाब तथा नदियों में उफान आ सकता है। मीन राशि वालों शारीरिक और मानसिक प्रभाव पड़ेगा।  
 

Similar News