2455 करोड़ से बनी 'पेंच नहर' बर्बाद, अधिकारी मौन

2455 करोड़ से बनी 'पेंच नहर' बर्बाद, अधिकारी मौन

Bhaskar Hindi
Update: 2017-07-03 14:35 GMT
2455 करोड़ से बनी 'पेंच नहर' बर्बाद, अधिकारी मौन

डिजिटल डेस्क, सिवनी। 2455 करोड़ की लागत से बनाई जा रही पेंच परियोजना में घटिया काम की पोल खुलने के बाद भी अफसर निर्माण कार्यों की सुध नहीं ले रहे। इसका ताजा उदाहरण मुंगवानी क्षेत्र में बनी नहर में देखा गया। यहां पर बड़ी नहर से किसानों के खेतों तक बनाई गई छोटी नहर बारिश के पानी में ढह गई। नहर चार माह पहले ही बनाई गई थी। हालांकि इनमें पानी नहीं छोड़ा गया था, लेकिन हाल ही में आई बारिश के पानी से घटिया काम की पोल खुल गई।

हैरानी की बात यह है कि मामला अफसरों के संज्ञान में आने के बाद भी ठेकेदारों का बचाव करते हुए कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। वहीं, दूसरी और किसान नहरों के निर्माण में घटिया काम किए जाने के आरोप लगाते हुए आंदोलन की चेतवानी दी है। जानकारी के अनुसार पेंच परियोजना के तहत छिंदवाड़ा और सिवनी जिले के किसानों के खेतों को सिंचित करने के लिए नहर का कार्य चल रहा है। मुंगवानी से लगे हुए क्षेत्र के गाडरवाड़ा, दिघौरी, बाधी, सापापार सहित कई गांव में किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए बनाई गई कई किलोमीटर लम्बी कैनाल आधी से ज्यादा ध्वस्त हो गई। ज्ञात हो कि डेम,नहर और कैनाल का काम 2544 करोड़ रुपए की लागत से हो रहा है, जिसमें दोनों जिलों में एक लाख 14 हजार हैक्टेयर के रकबे को सिंचित करना है।

कांक्रीट में मिलावट का काम

गाडरवाड़ा निवासी सतेन्द्र ठाकुर, राजेश ठाकुर, दिनेश ठाकुर, राजकुमार बघेल, तीरथ बघेल,जगदीश बघेल, पतिराम लोधी, जगन पटेल सहित अन्य ने आरोप लगाया कि अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत के कारण घटिया नहर बनाई गई है। कांक्रीट के लिए जो मसाला बनाया गया, उसमें सीमेंट कम और डस्ट अधिक थी। इसके अलावा गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं रखा गया। मौके पर न तो निरीक्षण किया गया और न ही कोई कार्रवाई की गई। ऐसे हालातों में नहर बनते गई और बाद में तेज बारिश के कारण नहर बर्बाद हो गई। गर्मी के मौसम में किसानों के खेतों तक सीधे पानी पहुंचाने के लिए केनाल बनाई गई है। कमीशनखोरी की वजह से न तो पूरी सीमेंट मिलाई जा रही है और न रेत का उपयोग किया गया है। महज गिट्टी की डस्ट से कैनाल बना दी गई।

शिकायतों पर भी कार्रवाई नहीं

किसानों का आरोप है कि नहर में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर कई बार शिकायतें की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। नहर की गुणवत्ता को लेकर जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों को शिकायत की थी, लेकिन अफसरों ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब सिंचाई से पहले ही यह कैनाल बर्बाद हो गई है, जबकि दो माह पूर्व माचागोरा के पास सिंचाई के लिए पानी छोड़े जाने पर नहर भी टूट-फूट गई थी। किसानों ने आरोप लगाया कि अफसरों ने लेनदेन के कारण ठेकेदारों पर मेहबानी दिखाई है, जिसके चलते कोई कार्रवाई नहीं की जा रही और शिकायतों को दबाया जा रहा है।

हल्की बारिश में ही आधी ध्वस्त

किसान सतेन्द्र ठाकुर बताते हैं कि कैनाल के निर्माण कार्य में सीमेंट और रेत का बिलकुल भी उपयोग नहीं किया गया है। केवल गिट्टी की डस्ट से बना दिया गया था। हल्की बारिश होने के बाद ही आधी से ज्यादा कैनाल ध्वस्त हो गई है। सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता जीएन सुनैया ने मामले में कहा है कि निर्माण कार्य में गड़बड़ी नहीं हुई है। यदि कहीं कोई दिक्कतें हैं तो उसे सुधार कार्य करवा दिया जाएगा। किसानों की समस्याएं दूर करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

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