45 बेटियों के बन गए पापा , जानिए क्या है इस शख्स की दास्तां

45 बेटियों के बन गए पापा , जानिए क्या है इस शख्स की दास्तां

Anita Peddulwar
Update: 2019-02-11 06:25 GMT
45 बेटियों के बन गए पापा , जानिए क्या है इस शख्स की दास्तां

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  एक-दो नहीं बल्कि 45 बेटियों के पापा हैं नागेश। एक छोटे से वाकये ने नागेश को 45 बेटियों का पिता बना दिया। नागेश बैंक कर्मचारी  हैं । एक बार उनके घर काम करने वाली बाई की बेटी ने कहा वह पढ़ना तो चाहती है, मगर वह चाहकर भी स्कूल नहीं जा सकती। उसके घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह पढ़ सके, इसलिए आगे-पीछे उसे भी बाई का काम या कहीं मजदूरी करना पड़ेगा। यह बात नागेश पाटील को चुभ गई। कई सालों तक वे इस बात के लिए बैचेन रहे कि उन्हें ऐसी बच्चियों के लिए कुछ तो करना है, फिर उन्होंने जरूरतमंद घरों की ऐसी बेटियों को पढ़ा-लिखाकर अपने  पैरों पर खड़ा करने के लिए गोद लेना शुरू कर दिया। आज उनके पास ऐसी 45 लड़कियां हैं। 

‘जीवाड़ा’ नाम है परिवार का

उनके इस परिवार का नाम ‘जीवाड़ा’ है और वे इन बच्चियों के पापा के नाम से जाने जाते हैं। उन्होंने ऐसी बच्चियों के लिए वंजारी नगर में होस्टल किराए से लिया है। इसमें केवल नागपुर की ही नहीं, बल्कि वाशिम, अकोला, चंद्रपुर, यवतमाल से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की बच्चियां हैं। इस होस्टल का खर्च लोगों के घरों की रद्दी बेचकर जुटाते हैं। ‘जीवाड़ा’ का मतलब है प्रेम स्नेह का कुनबा।

800 घरों की रद्दी से चलता है खर्च

नागपुर के विदर्भ प्रीमियम बैंक के कर्मचारी नागेश ने शुरुआत में जरूरतमंद बेटियों की पढ़ाई का खर्च अपने स्तर पर उठाना शुरू कर दिया। जैसे ही इनकी संख्या बढ़ती गई, उनका खर्च उठाना मुश्किल हो गया। तब कुछ समाजसेवियों का साथ मिला और इसके बाद लोगों के घरों की रद्दी बेचकर खर्च उठाने की योजना बनाई। आज शहर के 800 घरों की रद्दी बेचकर वे बच्चियों की होस्टल का खर्च उठाते हैं। उनकी होस्टल में लड़कियों को मुफ्त खाना, पढ़ाई-लिखाई की चीजें और स्कूल फीस तक का पूरा खर्च उठाया जाता है। जीवाड़ा परिवार में कुल 45 लड़कियां हैं। उनकी उम्र 10 से 30 साल के आसपास होगी। इनमें 10 चौथी क्लास से बीएससी तक की पढ़ाई कर रही हैं। इस परिवार की सबसे छोटी छात्रा पांचवीं क्लास में पढ़ती है। 

वे आत्मनिर्भर बन रही  

45 लड़कियों में से पढ़-लिखकर कुछ लड़कियां इस लायक भी हो गईं कि वे भी खर्च उठा सकें। इनमें से पांच लड़कियां नर्सिंग कोर्स कर जॉब कर रही हैं। उससे मिलने वाली सैलरी को पढ़ाई में खर्च कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं। कुछ लड़कियां डांस सिखाती हैं। यहां की छात्राएं खेलकूद में भी आगे हैं। पिछले साल हुई स्कूली स्पर्धाओं में 22 मेडल हासिल कर चुकी हैं। नागेश पाटील के दो बेटे हैं। उन्हें हमेशा से ही बेटी की कमी खलती थी। वे आज 45 बेटियों के पापा के रूप में जाने जाते हैं। वे बड़े फक्र से कहते हैं उनके दो बेटे और 45 बेटियां हैं।

मोदी तक भी पहुंच गई यहां की प्रतिभाशाली छात्रा

इन लड़कियों में सृष्टि भीमराव राऊत पंडित बच्छराज व्यास स्कूल की नौंवीं कक्षा में पढ़ती है। करीब चार साल पहले जब सृष्टि 6 साल की थी, तब जीवाड़ा परिवार के साथ उसे दिल्ली जाने का मौका मिला था। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उसकी कविता सुनकर बेहद खुश हुए थे। सृष्टि की कविता सुनकर पूनम महाजन भावुक हो गईं और उनकी आंखों से आंसू छलक आए थे। 
 

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