मेडिकल अस्पताल में लाभार्थियों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य योजना का लाभ

परेशान हो रहे मरीज मेडिकल अस्पताल में लाभार्थियों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य योजना का लाभ

Anita Peddulwar
Update: 2021-12-01 09:38 GMT
मेडिकल अस्पताल में लाभार्थियों को नहीं मिल रहा स्वास्थ्य योजना का लाभ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार ने गरीबों को सर्वाेत्तम व नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा देने के उद्देश्य से पांच साल पहले महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना शुरू की है। शहर के 4 सरकारी अस्पतालों में हर रोज 60 नए लाभार्थी मरीज भर्ती होते हैं। इनका नि:शुल्क उपचार करना, उन्हें नि:शुल्क दवाएं, इंजेक्शन उपलब्ध कराना संबंधित अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है। इतना ही नहीं जब मरीज डिस्चार्ज होता है, तो उसे जाने का किराया देने का भी प्रावधान है। शहर के मेयो, डागा और एम्स में किराया दिया जाता है, लेकिन मेडिकल में सालभर से किराया नहीं दिया जा रहा है। मेडिकल में हर रोज 40 लाभार्थी मरीज आते हैं, और औसत 20 लाभार्थी मरीज डिस्चार्ज होते हैं। सालभर पहले एक मरीज को 50 रुपए दिए जाते थे। इस हिसाब से सालभर में 7200 मरीजों को किराए के 3,60,000 रुपए नहीं दिए गए हैं। 

योजना के अनुसार किराया देने का प्रावधान
सरकार ने 2016 में महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना शुरू की थी। इसके अंतर्गत लाभार्थी मरीजों का नि:शुल्क उपचार, दवाएं और इजेक्शन नि:शुल्क देने का नियम है। इसके अलावा लाभार्थी मरीज को डिस्चार्ज होने के बाद उसे घर तक जाने के लिए किराया देने का प्रावधान भी है। यह किराया कहीं 100 रुपए, कहीं 200 रुपए तक दिया जाता है। किराया कितना देना चाहिए, इस पर कोई बंधन नहीं है। यह अस्पताल प्रशासन पर निर्भर करता है। शहर के मेयो अस्पताल, डागा अस्पताल और एम्स में लाभार्थी मरीजों को डिस्चार्ज के बाद किराया दिया जाता है। मेडिकल में किराया नहीं दिया जाता।

सालभर में 7200 लाभार्थी होते हैं डिस्चार्ज
जब महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना शुरू हुई थी, उस समय से सालभर पहले तक मेडिकल में योजना के लाभार्थी मरीजों को डिस्चार्ज होने पर 50 रुपए घर जाने का किराया दिया जाता था। सालभर पहले यह किराया देना बंद कर दिया गया है। सूत्रों के अनुसार सालभर पहले कुछ कर्मचारी बदल गए थे, नए कर्मचारियों ने किराया देने में दिलचस्पी दिखाना बंद कर दिया। वहीं इस योजना के अमल के लिए प्रभारी अधिकारी ने भी इसकी दखल लेना बंद कर दिया है। इसलिए अब यहां किसी भी लाभार्थी मरीज को जाने का किराया 50 रुपए नहीं दिए जा रहे हैं। सालभर में यहां इस योजना के 7200 लाभार्थी मरीज डिस्चार्ज होते हैं। इतने मरीजों को 50 रुपए के हिसाब से 3,60,000 रुपए दिए जाने चाहिए थे, लेकिन नहीं दिए गए। जबकि यह किराया योजना अंतर्गत आने वाले क्लेम बिलों की राशि से दिया जाता है। मेडिकल के मुकाबले मेयो में प्रतिदिन औसत 10, डागा में 5 और एम्स में 5 लाभार्थी मरीज भर्ती होते हैं। इनमें से आधे मरीज प्रतिदिन डिस्चार्ज होते हैं।  

समिति द्वारा कई बार की गई है चर्चा
शहर के चार सरकारी अस्पतालों में चलाई जा रही योजना की निगरानी के लिए एक जिलास्तरीय समिति नियुक्त है। इस समिति ने मेडिकल में योजना से जुड़े विविध विषयों पर प्रभारी अधिकारी से कई बार चर्चा की है। इसमें उपचार, दवाओं की अनुपलब्धता जैसे विषय शामिल थे। दो दिन पहले ही मरीजों को किराया नहीं दिए जाने के विषय पर ही चर्चा की गई है। बताया गया कि प्रभारी अधिकारी ने इसके लिए सकारात्मक पहल करने की स्वीकृति दी है। समिति के पास नागपुर के अलावा गोंदिया, भंडारा, गड़चिरोली जिले में योजना की निगरानी की जिम्मेदारी है। मेडिकल के मुकाबले मेयो में प्रतिदिन औसत 10, डागा में 5 और एम्स में 5 लाभार्थी मरीज भर्ती होते हैं। इनमं  से आधे मरीज प्रतिदिन डिस्चार्ज होते हैं।
 

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