भंडारा अग्निकांड : किलकारी गूंजी ही थी कि कोख उजड़ी, छाया मातम

भंडारा अग्निकांड : किलकारी गूंजी ही थी कि कोख उजड़ी, छाया मातम

Anita Peddulwar
Update: 2021-01-09 12:12 GMT
भंडारा अग्निकांड : किलकारी गूंजी ही थी कि कोख उजड़ी, छाया मातम

डिजिटल डेस्क,भंडारा।  भंडारा के जिला अस्पताल में घटित आग की घटना व हृदयविदारक स्थिति ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। हादसे  में जान गंवाने वाली माताओं ने अपना दर्द बयां किया। माँ बनने की खुशी कुछ दिनों में ही दुख में बदल गई। अभी उनके घर में बच्चे की किलकारी गूंजी ही थी और इस भीषण अग्निकांड के चलते  उनकी कोख उजड़ गई और मातम छा गया। अस्पताल में माताएं बिलख रहीं थीं। बच्चे को वापस देने की बात कह रही थीं। 
 
पहला बेटा था ,आग में खो दिया
12 दिसंबर को प्रसव हुआ था। प्रथमत: मां बनने का अनुभव हुआ। शिशु के हाथ की हड्डी फिसल गई थी। इसलिए जिला अस्पताल भर्ती किया गया था।  रात्रि डेढ़ बजे आग लगने की जानकारी मिली थी। किंतु घटनास्थल पर किसी को जाने नहीं दिया। कोई कुछ बताने के लिए भी तैयार नहीं था। सुबह 9 बजे तक शिशु को दिखाया भी नहीं गया - प्रियंका जयंत बसेशंकर,   ग्राम उसर्रा, तुमसर

आग में गंवाया 11 दिन का बेटा
29 दिसंबर को डिलीवरी हुई। शिशु 11 दिन का था। पहली बार माँ बनने का अनुभव प्राप्त था। हालत कमजोर होने से उसे जिला अस्पताल में दाखिल किया गया। आग में मैने मेरे पहले बेटे को खो दिया।  - सुकेशनी धरमपाला आगारे, ग्राम जांब, मोहाडी 

दो दिनों बाद होने वाली थी बच्चे को छुट्टी
दो माह पहले बच्चा हुआ। तब उसका वजन केवल 800 ग्राम था। इस कारण उसे जिला अस्पताल के शिशु कक्ष में दाखिल किया गया था। अस्पताल में बच्चे का वजन 500 ग्राम तक बढ़ा और 1300 ग्राम पर पहुंचा। बच्चा ठीक होने की खुशी परिवार में थी। दो दिनों में डिस्चार्ज भी होने वाला था।  किंतु आग में बच्चा खो दिया।  - गीता विश्वनाथ बहेरे, भोजापुर, भंडारा  
 

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