भीमा-कोरेगांव हिंसा : महिला को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

 भीमा-कोरेगांव हिंसा : महिला को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

Anita Peddulwar
Update: 2018-03-24 11:34 GMT
 भीमा-कोरेगांव हिंसा : महिला को हाईकोर्ट ने नहीं दी राहत

डिजिटल डेस्क,मुंबई । बांबे हाईकोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के विरोध में प्रदर्शन करनेवाली एक महिला के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले को रद्द करने से इंकार कर दिया है। महिला के खिलाफ 4 जनवरी को प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, सार्वजनिक शांति को भंग करने के अलावा भारतीय दंड संहिता के बांबे पुलिस एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत ठाणे जिले के कोलसेवाड़ी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। जिसे रद्द करने की मांग को लेकर माया कांबले नाम की महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 

पुलिस ने एक ही घटना को लेकर दर्ज किए दो मामले
न्यायमूर्ति आरएम सावंत व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान कांबले के वकील ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शन को लेकर पहले एक एफआईआर दर्ज की थी जिसमे उनके मुवक्किल का नाम नहीं था लेकिन पुलिस ने एक ही घटना को लेकर दूसरी एफआईआर दर्ज की है जिसमें उनके मुवक्किल का नाम है। पुलिस एक ही अपराधिक घटना को लेकर दो बार एफआईआर नहीं दर्ज कर सकती। यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है। वहीं सरकारी वकील ने कहा कि पुलिस ने याचिकाकर्ता के खिलाफ जो मामला दर्ज किया है उसका स्थान व समय अलग है। इसलिए यह कहना पूरी तरह से गलत है कि पुलिस ने एक ही घटना को लेकर दो मामले दर्ज किए हैं। पुलिस ने कानूनी प्रावधानों के तहत ही याचिकाकर्ता के खिलाफ मामला दर्ज किया है। सरकारी वकील की दलीलों को स्वीकार करते हुए खंडपीठ ने कांबले की याचिका को खारिज कर दिया और उसे किसी प्रकार की राहत देने से इंकार कर दिया। उल्लेखनीय है कि कोरेगांव भीमा की घटना के जनवरी माह में हुई थी। 200 साल पूरे होने की खुशी में वहां एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी थी. घटना में एक शख्स की मौत हो गई। जिसके बाद पूरेे महाराष्ट्र में घटना का विरोध करते हुए धरना प्रदर्शन किया गया।

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