पोर्टल पड़ा बंद, किसी भी स्टूडेंट को नहीं मिली ‘स्कॉलरशिप’

पोर्टल पड़ा बंद, किसी भी स्टूडेंट को नहीं मिली ‘स्कॉलरशिप’

Anita Peddulwar
Update: 2018-12-14 08:08 GMT
पोर्टल पड़ा बंद, किसी भी स्टूडेंट को नहीं मिली ‘स्कॉलरशिप’

डिजिटल डेस्क, नागपुर। वंचित व दुर्बल घटक के विद्यार्थियों को मिलने वाली शैक्षणिक स्कॉलरशिप पर बड़ा संकट मंडरा रहा है। पिछले एक साल में नागपुर जिले के एक लाख 65 हजार विद्यार्थियों में से किसी भी विद्यार्थी को स्कॉलरशिप नहीं मिलने की बात सामने आई है। इसका बड़ा कारण भी सामने आया है। स्कॉलरशिप से संबंधित महा-इस्कॉल पोर्टल एक वर्ष से बंद होने की जानकारी सामने आई है। पोर्टल में अनेक तकनीकी खामियां होने और उसका समाधान नहीं खोजने का भी खुलासा हुआ है। ऐसे में अधिकारियों में भी इसे लेकर भ्रम है। जिम्मेदारी सुनिश्चित नहीं होने से अब प्रकरणों का निपटारा करने के लिए सभी लंबित प्रकरणों को आयुक्त स्तर पर भेजा जा रहा है। सरकार की इस घोर लापरवाही का वंचित और दुर्बल घटक के गरीब विद्यार्थियों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।

1.65 लाख विद्यार्थियों के साथ धोखा 

यह है मामला
समाज कल्याण विभाग के पूर्व आयुक्त व पूर्व आईएएस रहे ई.जेड. खोब्रागडे ने इस मामले का खुलासा करते हुए बताया कि अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ावर्ग, विमुक्त जाति, भटक्या जमाति व विशेष पिछड़ा प्रवर्ग के विद्यार्थियों को शिक्षण के लिए भारत सरकार पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना क्रियान्वित की जाती है। इस संबंध में हाल में महाराष्ट्र ऑफिसर्स फोरम का शिष्टमंडल भी सहायक आयुक्त, समाज कल्याण से मिला, जिसमें अनेक बातों का खुलासा हुआ। शिष्टमंडल का नेतृत्व ई.जेड. खोब्रागड़े ने किया। खोब्रागड़े ने बताया कि नागपुर जिले में अनुसूचित जाति के सामान्यत: 40 हजार और अन्य पिछड़ा प्रवर्ग के 1 लाख 25 हजार, ऐसे कुल 1 लाख 65 हजार विद्यार्थी मैट्रिक के बाद शिक्षण ले रहे हैं। इसमें से सिर्फ 8298 विद्यार्थियों के आवेदन प्राप्त हुए। 286 के आवेदन मंजूर हुए हैं, लेकिन एक भी विद्यार्थी के खाते में स्कॉलरशिप की रकम जमा नहीं हुई है। राज्य के सभी जिलों में लगभग इसी तरह की स्थिति है। वर्ष 2015-16 से 2018-19 तक नागपुर जिले के 42 हजार विद्यार्थियों के आवेदन अभी भी समाज कल्याण विभाग में लंबित है। पूर्व आईएएस खोब्रागड़े ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा पिछड़ा वर्ग के शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक विकास योजना को जान-बूझकर नजरअंदाज करने का यह ज्वलंत उदाहरण है।

अन्य योजनाओं की भी यही स्थिति
पूर्व आईएएस खोब्रागड़े ने कहा कि छात्रावास में प्रवेश नहीं मिलने वाले विद्यार्थियों को शैक्षणिक सुविधा देने के लिए डॉ. बाबासाहब आंबेडकर स्वाधार योजना शुरू की गई, लेकिन योजना की जटिल शर्तों के कारण इसमें कोई प्रगति नहीं हो रही है। योजना में सुधार करने की जरूरत है। स्वाभिमान व घरकुल योजना की भी संतोषजनक स्थिति नहीं है। आरोप लगाया कि योजनाओं की स्थिति से लग रहा है कि सरकार को पिछड़ा वर्ग के कल्याणकारी योजना को बहुत ज्यादा दिलचस्पी नहीं है।  

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