एलएलबी में एडमिशन के लिए मेरिट में समानता लाए सरकार : बांबे हाईकोर्ट

एलएलबी में एडमिशन के लिए मेरिट में समानता लाए सरकार : बांबे हाईकोर्ट

Anita Peddulwar
Update: 2018-10-16 13:00 GMT
एलएलबी में एडमिशन के लिए मेरिट में समानता लाए सरकार : बांबे हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए मेरिट (अंक) में समानता लाई जाए। ताकि प्रवेश के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों के मन में इस बात को लेकर भ्रम न रहे । वे एडमिशन फार्म में औसत अंकों का जिक्र करें अथवा अंतिम साल में मिले अंको का उल्लेख करें। न्यायमूर्ति भूषण गवई व न्यायमूर्ति एमएस कर्णिक की खंडपीठ ने मेलवेन मैथ्यु पोनेतिल नामक छात्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद दिए गए आदेश में यह बात कही। पोनेतिल ने मुंबई के कालेज में एलएलबी के तीन वर्षीय पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आवेदन किया था। आवेदन फार्म में उसने स्नातकोत्तर के अंतिम साल में मिले 72.28 प्रतिशत अंकों का उल्लेख किया था। जबकि उसके दोनों साल के कुल मिले अंकों का प्रतिशत 70.26 था। इसलिए उसका एडमिशन रद्द कर दिया गया। 

दिए एडमिशन के निर्देश

मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि एडमिशन के आवेदन में स्नातक अथवा स्नातकोत्तर में मिले औसत अंक लिखे या अंतिम साल के अंक लिखे जाएं इसे लेकर सभी विश्वविद्यालयों में भिन्नता है। कुछ विश्वविद्यालय में औसत अंकों को महत्व दिया जाता है तो कुछ विश्वविद्यालय में अंतिम साल में मिले अंकों को माना जाता है। ऐसे में यह उचित होगा कि राज्य सरकार द्वारा नियंत्रित सभी विश्वविद्यालयों में इस विषय पर समानता लाई जाए ताकि किसी प्रकार का कोई भ्रम न रहे । जहां तक मुंबई विश्वविद्यालय की बात है साल 2014 तक यहां पर अंतिम साल के अंकों को एडमिशन के लिए पात्र माना जाता था। अब नियमों में बदलाव किया जाता है, जिसके तहत अब औसत अंक (दोनों-तीनों साल में मिले नंबर) को महत्व दिया जाता है।  बात यदि याचिकाकर्ता की है तो उसने साल 2012 में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है। इसलिए उस पर पुराना नियम लागू होगा। यह कहते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को एलएलबी में एडमिशन देने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि उनका यह निर्देश सिर्फ इस मामले तक ही सीमित है। 


 

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