अदालत अवमानना याचिका पर हाइकोर्ट ने मांगा जवाब, ख्वाजा यूनुस पुलिस हिरासत मामला

अदालत अवमानना याचिका पर हाइकोर्ट ने मांगा जवाब, ख्वाजा यूनुस पुलिस हिरासत मामला

Bhaskar Hindi
Update: 2020-07-03 13:24 GMT
अदालत अवमानना याचिका पर हाइकोर्ट ने मांगा जवाब, ख्वाजा यूनुस पुलिस हिरासत मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में मौत से जुड़े कथित मामले को लेकर दायर न्यायालय की अवमानना याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में मुंबई पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह पर न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाया गया  है। इसके साथ साथ ही राज्य सरकार को  प्रकरण में आरोपी चार निलंबित पुलिस कर्मियों की सेवा बहाली के संबंध में 5 जून 2020 को दिए गए आदेश को वापस लेने का आग्रह किया गया है। यह याचिका यूनुस की मा आसिया बेगम ने दायर की है। शुक्रवार को न्यायमूर्ति  एए सैयद की खंडपीठ के सामने सुनवाई के लिए आयी। याचिका पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने महाराष्ट्र सरकार को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर में  बेस्ट की बस में हुए बम धमाके के मामले में गिरफ्तार किया गया था औऱ 6 जनवरी 2003 में उसकी कथित रुप से पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। सत्र न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल रही हैं।  

याचिका के मुताबिक आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक कार्रवाई कर इस संबंध में रिपोर्ट मंगाई जाए। फिलहाल इनके खिलाफ निचली अदालत में इस मामले को लेकर मुकदमा चल रहा है। याचिका के मुताबिक 7 अप्रैल 2004 को हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्रथम दृष्ट्या आरोपी पुलिस कर्मियों की संलिप्तता नजर आ रही है। लिहाज इनके खिलाफ विभागीय जांच कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। लेकिन पुलिस कर्मियों की सेवा बहाली जानबूझकर कर अदालत के आदेश की अवहेलना को दर्शाता हैं। इसलिए सरकार पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाए। इस मामले में आरोपी सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वझे, पुलिस कांस्टेबल राजेंद्र तिवारी, सुनील देसाई व राजाराम निकम की सेवा बहाली की गई है।

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