आंगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने पर शिवसेना और विपक्ष का सदन में हंगामा
आंगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने पर शिवसेना और विपक्ष का सदन में हंगामा
डिजिटल डेस्क, मुंबई। अपनी ही सरकार का लगातार विरोध कर रही शिवसेना अब सदन में खुलकर फडणवीस सरकार के खिलाफ ताल ठोक रही है। शिवसेना विधायकों के हंगामे के चलते बुधवार को विधानमंडल के दोनों सदनों की कार्यवाही नहीं चल सकी। आंगनवाडी सेविकाओं पर मेस्मा लगाए जाने के सरकार के फैसले के खिलाफ शिवसेना और विपक्षी दलों ने काफी हंगामा किया। लगातार हंगामें के चलते विधानसभा की कार्यवाही आठ बार और विधान परिषद की कार्यवाही 3 बार स्थगित होने के बाद दोनों सदनों की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दिया। इस दौरान राज्य की महिला व बाल कल्याण मंत्री पंकजा मुंडे ने यह कह कर शिवसेना पर हमला बोला कि आंगनवाड़ी कर्मचारियों की हड़ताल के चलते होने वाली बच्चों की मौत की जिम्मेदारी कौन लेगा। जबकि विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने इसे शिवसेना की नौटंकी बताया है।
विपक्ष के साथ मिलकर सत्ताधारी दल ने नहीं चलने दी दोनों सदनों की कार्यवाही
विधानसभा में हंगामें के दौरान शिवसेना विधायक ज्ञानराज चौगुले ने राजदंड उठा लिया। तमाम कोशिशों के बाद भी जब शिवसेना सदस्य शांत नहीं हुए तो विधानसभा की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई। प्रश्नकाल शुरू होते ही शिवसेना सदस्य आंगनवाडी कर्मचारियों पर मेस्मा लगाए जाने के फैसले का विरोध शुरु कर दिया। शिवसेना के सुनील प्रभू ने कहा कि अगर सरकार आंगनवाडी कर्मचारियों पर मेस्मा जैसे कानून के तहत कार्रवाई करना चाहती है तो पहले उन्हें भी कर्मचारी का दर्जा देकर सावतें वेतन आयोग के हिसाब से वेतन दे। प्रभू ने कहा कि सरकार ने आंगनवाडी सेविकाओं का पारिश्रमिक साढ़े चार हजार से बढ़ाकर साढ़े छह हजार करने और आयु सीमा 65 साल तक बढ़ाने जैसे फैसले किए हैं जो स्वागत योग्य हैं लेकिन इन महिलाओं पर मेस्मा लगाना अन्याय है।
आंगनवाड़ी सेविकाओं पर मेस्मा लगाए जाने से नाराज शिवसेना
विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने सवाल किया कि क्या अब अपने अधिकारों की मांग करने पर भी मेस्मा लगेगा। क्या अपने अधिकार की मांग करना देशद्रोह है। आंगनवाडी सेविकाएं समाज का अहम घटक हैं वे नाममात्र के पारिश्रमिक पर गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों की देखभाल करतीं है। सरकार जब तक कानून वापस नहीं लेगी। सदन का कामकाज नहीं चलने दिया जाएगा। राकांपा के अजित पवार ने कहा कि आंगनवाडी कर्मचारियों को दिनभर के लिए 150 रुपए दिए जाते हैं। इतने रुपए में कोई खुद दो वक्त का खाना भी नहीं खा सकता। यह किस तरह की तानाशाही चल रही है। जब शिवसेना समेत पूरा विपक्ष मांग कर रहा है कि मेस्मा नहीं लगे। बहुमत इस मांग के पक्ष में है तो सरकार क्यों नहीं सुन रही। संबंधित मंत्री को इस पर सफाई देनी चाहिए।
125 बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन: पंकजा मुंडे
शिवसेना और विपक्ष के शोरशराबे के बीच महिला एवं बाल विकास मंत्री पंकजा मुंडे ने कहा कि हड़ताली आंगनवाडी सेविकाओं पर मेस्मा लगाने का कानून रद्द करने की मांग गलत है। मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए पंकजा ने कहा कि आंगनवाडी सेविकाओं की हड़ताल के दौरान 125 बच्चों की मौत हुई थी। उन्होंने कहा कि क्या विपक्ष इसकी जिम्मेदारी स्वीकारेगा। पंकजा ने कहा कि आंगनवाडी सेविकाओं की सभी मांगें हमने मान ली है। लेकिन कुछ संगठन जानबूझकर हड़ताल जारी रखने और माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हम ऐसे मामलों में कड़ाई से नहीं निपटेंगे तो राज्य से कुपोषण नहीं खत्म हो पाएगा। बालकों के अधिकार सुनिश्चित करने के लिए यह कानून जरूरी है।
नौटंकी छोड़ सरकार छोड़े शिवसेना: विखेपाटील
विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने विधानभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि एक ओर शिवसेना मेस्मा का विरोध कर रही है दूसरी ओर सरकार का हिस्सा बनी हुई है। अगर उसमें हिम्मत है तो मंत्रिमंडल कि बैठक में इसका विरोध करके दिखाए। अगर उनकी मांग नहीं मानी जाए तो सरकार छोड़े। उन्होंने कहा कि बजट की विभागार मांगों की चर्चा के दौरान सत्ता में शामिल एक पक्ष ने हंगामा किया और हमें बोलने नहीं दिया यह लोकतंत्र की हत्या है। विपक्ष के नेता ने कहा कि शिवसेना सिर्फ नौटंकी कर रही है।