वाहनों की 'हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट योजना' पर लगा ब्रेक
वाहनों की 'हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट योजना' पर लगा ब्रेक
दैनिक भास्कर न्यूज डेस्क, नागपुर। असामाजिक तत्वों द्वारा वाहनों के दुरुपयोग की रोकथाम के लिए लाई जाने वाली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसएनपी) की योजना ठंडे बस्ते में चले गई है। अब केंद्र सरकार द्वारा मोटर व्हिकल एक्ट से संबंधित जो बिल लाया, उसमें वाहनों में रेडियो फ्रिक्वेंसी इंडिकेटर डिवाइस (आरएफआईडी) टैग लगाने के आदेश है। आतंकी अक्सर वाहनों के नंबर प्लेट बदलकर वारदात को अंजाम देते हैं और पुलिस शुरुआती जांच में अंधेरे में हाथ-पैर मारने को मजबूर हो जाती है।
नागपुर में संघ मुख्यालय में हुए आतंकी हमले में जिस कार का इस्तेमाल हुआ था, उसमें नंबर प्लेट दूसरी लगाई गई थी। जांच में यह कार जम्मू-कश्मीर की निकली थी। इसके बाद राज्य में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने पर जमकर चर्चा हुई। सरकार ने इस दिशा में गंभीरता से कदम उठाने का दावा किया था, लेकिन पिछले एक साल से इस पर कोई बात नहीं हुई। मामला कहां अटका है आैर यह योजना लागू भी होगी या नहीं इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। आरटीआे ने स्पष्ट किया कि यह नीतिगत फैसला है आैर इस बारे में आरटीओ से कोई चर्चा नहीं हुई है।
असामाजिक तत्व अक्सर वाहनों पर गलत नंबर लिखकर आपराधिक वारदात को अंजाम देते हैं। इसकी देखादेखी आतंकी भी इसका अनुसरण कर रहे हैं। वाहन किसी का और नंबर किसी का होता है। इससे वारदात को अंजाम देने वाले तुरंत पुलिस की गिरफ्त में नहीं आते। संघ मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले में जम्मू कश्मीर की एंबेसेडर कार का इस्तेमाल हुआ था। इसकी नंबर प्लेट बदल दी गई थी। उस वक्त नागपुर पुलिस हाई अलर्ट थी, लेकिन कार पर नागपुर के वाहनों के लिए इस्तेमाल होने वाला नंबर डाला गया था। इसलिए आतंकी शहर का भ्रमण करते हुए संघ मुख्यालय तक पहुंचने में सफल हो सके थे। हालांकि नागपुर पुलिस ने तीनों आतंकियों को मुठभेड़ में ढेर कर दिया था। इसके बाद हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट पर ऐसी बहस छिड़ गई थी, मानो इस पर शीघ्र अमल हो जाएगा। इस योजना का ब्ल्यू प्रिंट तैयार किया गया।
योजना को अमल में लाने के लिए क्या क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर शासन स्तर पर विचार हुआ। इस पर होने वाले खर्च पर भी मंथन हुआ। नए के साथ ही जो पुराने वाहन सड़क पर दौड़ रहे हैं, उसमें भी हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने की योजना बनी। पिछली सरकार ने इस पर तेजी से काम चलने का बयान सदन में दिया था। यह काम एक एजेंसी को देकर इस पर आरटीओ की निगरानी रखने की बात हुई थी। पिछले एक साल से शासन व प्रशासन स्तर पर कोई बात नहीं हो सकी। इससे वाहनों के लोकेशन लिए जा सकेंगे। इस पर हर राज्य को अमल करना है। यह तकनीक एचएसएनपी से सस्ती है, लेकिन एचएसएनपी इतनी प्रभावी नहीं है।
यह विशेषता है एचएसएनपी की
एचएसएनपी एक ऐसी नंबर प्लेट है, जो वाहन से निकाली नहीं जा सकती। इसमें एक चिप होती है। इस चिप से वाहन का लोकेशन लेने के साथ ही इस ट्रेस भी किया जा सकता है। आंतकवाद से पीड़ित राज्य के वाहन अन्य राज्यों में दिखाई देने पर पुलिस को तुरंत कदम उठाने में मदद होती है। आतंकवाद से पीड़ित जम्मू-कश्मीर में इस योजना पर कुछ हद तक अमल हो रहा है।
सीआरपीएफ ने मांगी थी जानकारी
केंद्रीय आरक्षी पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने पिछले साल प्रादेशिक परिवहन कार्यालय (आरटीओ) नागपुर से इस संबंध में जानकारी मांगी थी। आरटीओ ने इस योजना पर कोई काम नहीं होने संबंधी जानकारी सीआरपीएफ कमांडंट को दी थी। सीआरपीएफ जवान की तैनाती देशभर में होती है।
नागपुर आरटीओ शरद जिचकार ने कहा कि एचएसएनपी के बारे में हमने बहुत सुना, लेकिन इस योजना पर पिछले एक साल से ज्यादा समय से कोई बात नहीं हुई है। सरकार ने इस संबंध में कोई सुझाव भी नहीं मांगे। यह योजना कहां तक आई इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। यह नीतिगत मामला होने से इस पर निर्णय राज्य सरकार ही ले सकती है। यह काम किसी एजेंसी को देने, आरटीओ की निगरानी में काम होने व वाहनों पर यह प्लेट लगाने संबंधी चर्चा हमने भी सुनी थी। अब तक न एजेंसी नियुक्त हुई न इस संबंध में कोई आदेश मिले। कोई दिशा निर्देश नहीं होने से इस पर कब तक अमल होगा और इसका खर्च किससे वसूला जाएगा, इस बारे में बोलना ठीक नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से यह योजना बहुत अच्छी है। अब शासनस्तर पर आरएफआईडी पर विचार हो रहा है। सरकार जो निर्णय लेगी उस पर अमल किया जाएगा।