बौद्ध धम्म दीक्षा महोत्सव में राजनीतिक लोगों के जमावड़े पर लगे रोक, संगठनों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

बौद्ध धम्म दीक्षा महोत्सव में राजनीतिक लोगों के जमावड़े पर लगे रोक, संगठनों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

Bhaskar Hindi
Update: 2018-10-12 18:45 GMT
बौद्ध धम्म दीक्षा महोत्सव में राजनीतिक लोगों के जमावड़े पर लगे रोक, संगठनों ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नागपुर के दीक्षा भूमि पर आयोजित होने वाले बौद्ध धम्म दीक्षा महोत्सव के मंच पर राजनैतिक तत्वों की अनावश्यक उपस्थिति को लेकर बौद्ध संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है। यहां के कुछ आंबेडकरवादी तथा बुद्धिस्ट संगठनों ने इस संबंध में राष्ट्रपति को पत्र लिखकर पूरजोर मांग की है कि इस धार्मिक उत्सव में राजनीतिक लोगों के जमावड़े पर रोक लगाई जाए, ताकि वे यहां आकर आंबेडकरवादी अनुयायियों की भावनाओं से खिलवाड़ न कर सके।

बौद्ध संगठनों ने इस आशय का एक पत्र डॉ बाबासाहेब आंबेडकर स्मारक समिति, नागपुर को भी भेजा है। बौद्ध संगठनों की राष्ट्रीय समन्वय समिति के राष्ट्रीय संगठक अभय रत्न बौद्ध ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा है कि बौद्ध धम्म दीक्षा महोत्सव के मंच पर राजनीतिक तत्वों की उपस्थिति से इस धार्मिक उत्सव की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कार्य आयोजकों तथा राजनीतिक लोगों द्वारा किया जा रहा है। जबकि डॉ बाबासाहेब ने बौद्ध धम्म दीक्षा लेते समय किसी भी राजनीतिक दल के नेता को बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में शामिल नही किया था। ऐसे में राजनीतिक लोगों का इस धार्मिक उत्सव में भाग लेने का कोई औचित्य नही बनता।

अभय रत्न बौद्ध ने कहा कि यदि महोत्सव में भाग लेने वाले राजनेता बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण करते हैं तो स्वागत योग्य है अन्यथा उनके यहां आने का संगठन पूरजोर विरोध करता है और आग्रह करता है कि वह इस मामले का संज्ञान लेकर यहां आकर अपनी नेतागिरी चमकाने वाले राजनेताओं के यहां आने पर समय रहते रोक लगाए। वहीं दिल्ली सरकार के अल्पसंख्यक आयोग के बुद्धिस्ट सदस्य रतनलाल कैन ने भी महोत्सव में राजनीतिक लोगों के जमावड़े पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि आयोजकों द्वारा राजनेताओं को यहां बुलाने को ज्यादा अहमियत देना जनता के हित में नहीं है। वे केवल यहां आकर अपना राजनीतिक स्वार्थ पूरा करने के लिए भाषण देकर चले जाते हैं।

रतनलाल कैन ने कहा, डॉ बाबासाहेब का बौद्ध धर्म में लोगों को प्रवर्तित करने का जो सपना और सोच थी, उसे कालिख पोतने का काम आयोजकों द्वारा किया जा रहा है। आयोजकों को चाहिए कि वह केवल यहां देश-विदेश के भीक्षुओं को ही आमंत्रित करें। अगर राजनीतिक लोगों को यहां बुलाने की कार्रवाई नही रोकी तथा स्मारक समिति द्वारा नियमों में परिवर्तन नही किया और यह सिलसिला ऐसे ही जारी रहा तो हम सामुहिक रुप से फैसला लेकर समिति के खिलाफ प्रदर्शन जारी करेंगे।

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