‘पहचान के लिए सिर्फ आधार कार्ड पर नहीं रह सकते निर्भर’

हाईकोर्ट ने कहा ‘पहचान के लिए सिर्फ आधार कार्ड पर नहीं रह सकते निर्भर’

Anita Peddulwar
Update: 2021-10-30 12:24 GMT
‘पहचान के लिए सिर्फ आधार कार्ड पर नहीं रह सकते निर्भर’

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में स्पष्ट किया है कि आधारकार्ड सिर्फ सार्वजनिक वितरण व्यवस्था व खाद्य सुरक्षा कानून के अंतगर्त लाभ पानेवाले लाभार्थी की पहचान का एक माध्यम है। पहचान के लिए पूरी तरह से आधारकार्डपर निर्भर नहीं रहा जा सकता है। केंद्र सरकार की एक अधिसूचना का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने साफ किया कि यदि किसी के पास आधारकार्ड की बजाय सिर्फ राशनकार्ड है तो भी रॉशनकार्ड का सत्यापन कर उसे सार्वजनिक वितरण व्यवस्था व खाद्य सुरक्षा कानून के तहत अनाज दिया जाए। इसके साथ ही यदि राशनकार्ड में उल्लेखित नामों में से सिर्फ एक व्यक्ति का आधारकार्ड आरसीएमएम पोर्टल अथवा सिस्टम से जुड़ा है तो भी पूरे परिवार को अनाज दिया जाए। हाईकोर्ट में अधिवक्ता क्रांति एलसी के माध्यम से इस विषय को लेकर मुरबाड निवासी गणपत मंगल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई चल रही है।

प्रकाशोत्सव के उत्साह के बीच भोजन से वंचित करना निराशाजनक
इस दौरन न्यायमूर्ति पीबी वैराले व न्यायमूर्ति माधव जामदार की खंडपीठ ने कहा कि पूरे देश व राज्य में प्रकाशोत्सव की अगवानी के उत्साह के बीच आदिवासी इलाकों में रहनेवालोंका भोजन से वंचित होना बेहद निरशाजनक है। इससे पहले खंडपीठ ने पाया कि ठाणे के मुरबाड इलाके में रहनेवाले85 लोगों को सिर्फ इसलिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत बनाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना व दूसरी योजना के अंतगर्त मिलनेवाले अनाज से वंचित रखा गया है क्योंकिउनका राशनकार्ड व आधारकार्ड राज्य सरकार के रॉशनकार्ड मैनेजमेंट सिस्टम (आरसीएमएस) से नहीं जुड़ा है। खंडपीठ ने ठाणे के जिलाधिकार को निर्देश दिया है कि वे अपनी निगरानी में राशन कार्ड का सत्यापन आनाज से वंचित आदिवासी लोगों को 4 नवंबर 2021 से पहले आनाज का वितरण करवाए।   

याचिका में दावा किया गया है कि मुरबाड के तहसीलदार व अन्य अधिकारी ने याचिकाकर्ता को सिर्फ इसलिए अनाज देने से मना कर दिया है क्योंकि उनका आधारकार्ड व राशनकार्ड  राज्य सरकार के आरसीएमएस सिस्टम से नहीं जुड़ा है। राज्य सरकार के 13  अक्टूबर 2016 के शासनादेश  के मुताबिक  सार्वजनिक  वितरण व्यवस्था के अंतर्गत लाभ पानेवाले लाभार्थी व राशनकार्ड में उल्लेखित हर व्यक्ति के नाम का आरसीएमएस से जुड़ा होना जरुरी है।

सुनवाई के  दौरान सरकारी वकील ने खंडपीठ  के सामने कहा कि याचिकाकर्ताओं का आधार व राशनकार्ड  राज्य  सरकार  के आरसीएमएस सिस्टम से नहीं जुड़ा है। इसके लिए उन्हें अनाज नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि आधारकार्ड व राशनकार्ड को आरसीएमएस सिस्टम से जोड़ने का जिम्मा राशन की  दुकान के मालिक को दिया गया है। इन दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ  ने कहा कि आधार व राशनकार्ड को आरसीएमएस सिस्टम से जोड़ना तकनीक से जुड़ा मुद्दा है। मामले से जुडे याचिकाकर्ता आदिवासी हैं। लिहाजा तकनीकी बात को लेकर इन्हें आनाज से वंचित करना ठीक नहीं है। यह बात कहते हुए खंडपीठ ने राज्य सरकार  को याचिका के जवाब में हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया और याचिका पर सुनवाई एक दिसंबर 2021 तक के लिए स्थगित कर दी।
 

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