80 साल पुराने मकानों को तोड़ने का मामला : आरटीआई में अधिकारी नहीं दे पाए जवाब

80 साल पुराने मकानों को तोड़ने का मामला : आरटीआई में अधिकारी नहीं दे पाए जवाब

Anita Peddulwar
Update: 2018-05-17 07:42 GMT
80 साल पुराने मकानों को तोड़ने का मामला : आरटीआई में अधिकारी नहीं दे पाए जवाब

डिजिटल डेस्क, नागपुर। 80 साल पुराने मकानों को तोड़ने का मामला इन दिनों मनपा में खूब गर्माया हुआ है। सत्ता के साथ जब प्रशासन और पुलिस का मिलाप होता है, तो उसका असर किस तरह कहर ढाता है, इसका ज्वलंत उदाहरण जरीपटका की वरपाखड बस्ती है। मई की शुरुआत में बस्ती के 5 मकानों पर मनपा ने बुलडोजर चला दिया। पुलिस भी बंदोबस्त के साथ-साथ यहां मलबा उठाने में तत्पर दिखी। इस बीच पीड़ितों ने मनपा के विविध विभागों में आरटीआई में जानकारी मांगी कि इन मकानों को तोड़ने की आदेश की कॉपी दी जाए, लेकिन मंगलवारी जोन, लोककर्म विभाग, एसआरए विभाग, स्लम विभाग  ने हाथ खड़े कर दिए। सभी विभागों ने आरटीआई में जवाब दिया कि उनके पास इन मकानों को तोड़ने के संबंध में कोई आदेश या नोटिस नहीं मिला है। आखिर मनपा के पास ऐसा कोई आदेश नहीं था, तो किसके आदेश पर यह कार्रवाई हुई। दूसरी तरफ मनपा का कहना है कि कार्रवाई नियमानुसार की गई है। जो भी आरटीआई में संबंधित द्वारा जानकारी मांगी वह दी गई है। पीड़ितों द्वारा जो आरोप लगाए गए हैं, वे गलत हैं।

नहीं दी गई आदेश की कॉपी
जरीपटका स्थित वरपाखड बस्ती चंद्रशेखर शेंडे, चंद्रशेखर साखरे, वंदना बांबोर्डकर, भोलानाथ रामटेके के 80 साल पुराने मकानों को पिछले दिनों मनपा द्वारा तोड़ा गया। मकान तोड़ने के लिए सत्तापक्ष का दबाव होने का आरोप लगाया गया। इसके लिए पुलिस और प्रशासन की मदद ली गई। इस मामले को लेकर पीड़ित कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसे लेकर पीड़ितों ने मनपा कार्यालय में जाकर आदेश की कॉपी मांगी, लेकिन अधिकारियों ने आदेश की कॉपी देना तो दूर, उसे दिखाने से भी मना कर दिया। इसके बाद आरटीआई का सहारा लिया गया। इस संबंध में पीड़ितों ने मनपा के मंगलवारी जोन, लोककर्म विभाग, स्लम विभाग, एसआरए विभाग में आरटीआई के तहत मकानों को तोड़ने संबंधी आदेश की कॉपी, डीपी प्लान, नक्शे की कॉपी, तैयार किए गए सीमेंट रोड की कॉपी और टेंडर कॉपी  मांगी। 
 

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