कोरोना संक्रमितों के शवों को कब्रिस्तान में दफनाने का मामला कोर्ट तक पहुंचा

कोरोना संक्रमितों के शवों को कब्रिस्तान में दफनाने का मामला कोर्ट तक पहुंचा

Anita Peddulwar
Update: 2020-04-20 15:09 GMT
कोरोना संक्रमितों के शवों को कब्रिस्तान में दफनाने का मामला कोर्ट तक पहुंचा

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान में कोरोना के चलते मरने वाले मरीजो के शव को दफनाने से रोकने की मांग को लेकर दायर याचिका को गंभीरता से लिया है। याचिका पर सुनवाई के दौरान मुंबई महानगपालिका की ओर से किसी वकील के उपस्थित न होने को देखते हुए हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान मुंबई मनपा के वरिष्ठ अधिकारी को उपस्थित रहने को कहा है। इस विषय को लेकर मुंबई निवासी प्रदीप गांधी सहित चार लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। सोमवार को यह याचिका न्यायमूर्ति के.आर श्रीराम के सामने सुनवाई के लिए आयी।
 
इस दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता डी.पी. सिंह ने कहा कि याचिका की प्रति मुंबई महानगरपालिका को सौंपी गई है। फिर भी मनपा की ओर से पैरवी के लिए कोई उपस्थित नहीं हुआ है। इस दौरान उन्होंने याचिका के आधार पर कहा कि यदि बांद्रा जैसी घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमित शव को दफनाने से नहीं रोका गया तो इससे सामुदायिक संक्रमण काफी तेजी से फैल सकता है। याचिका में उल्लेखित तथ्यों पर गौर करने के बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के दौरान मनपा के वरिष्ठ अधिकारी को उपस्थित रहने का निर्देश दिया। 

याचिका में मुख्य रुप से मुंबई महानगपालिका की ओर से 9 अप्रैल 2020 को जारी किए गए परिपत्र को चुनौती दी गई है। याचिका में इस परिपत्र को निरस्त कर घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित मुस्लिम समुदाय के कब्रिस्तान में कोरोना संक्रमित के शव को दफनाने पर रोक लगाने के विषय में राज्य सरकार व मुंबई मनपा को निर्देश देने का आग्रह किया गया है। याचिका के अनुसार मुंबई मनपा ने कोरोना बाधित शवों के अंतिम संस्कार करने के विषय में 30 मार्च 2020 को एक परिपत्र जारी किया था। इसके मुताबिक घनी आबादी वाले इलाकों में स्थित कब्रिस्तान में कोरोना बाधित के शव को न दफनाया जाए। जबकि 9 अप्रैल 2020 का परिपत्र ऐसे शवों को घनी आबादी वाले इलाकों में दफनाने की इजाजत देता है। इसलिए मनपा के इस विरोधाभासी परिपत्र को रद्द कर दिया जाए। इस याचिका पर 22 अप्रैल को सुनवाई हो सकती है। 

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