महाराष्ट्र: राज्य में किसी केस की जांच के लिए CBI को सरकार से लेनी होगी अनुमति, अहीर बोले - फैसला संघीय ढांचे के लिए चुनौती

महाराष्ट्र: राज्य में किसी केस की जांच के लिए CBI को सरकार से लेनी होगी अनुमति, अहीर बोले - फैसला संघीय ढांचे के लिए चुनौती

Bhaskar Hindi
Update: 2020-10-21 19:54 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई। पूर्व केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता हंसराज अहीर ने महाराष्ट्र में बिना इजाजत सीबीआई को प्रवेश नहीं देने संबंधी उद्धव सरकार के ताजा फैसले को गलत करार दिया है। उन्होने कहा कि राज्य सरकार का यह निर्णय देश के संघीय ढांचे के लिए एक चुनौती है। अहीर ने कहा कि सीबीआई देश की सबसे प्रतिष्ठित केन्द्रीय जांच एजेंसी है और इसकी सीधी जांच से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है। यदि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई की जांच में अड़ंगा डालती है तो यह माना जाएगा कि प्रदेश सरकार की नीयत भ्रष्टाचार को खत्म करने में नहीं है। उन्होने कहा कि आम सहमति के बाद ही सीबीआई को सभी राज्यों में जांच के अधिकार को मिले थे। महाराष्ट्र सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को दी गई आम सहमति को वापस ले लिया है। अब महाराष्ट्र में हर मामले की जांच से पहले केन्द्रीय जांच एजेंसी को राज्य से इजाजत लेनी होगी।

उद्धव सरकार का बड़ा फैसला            

केंद्र सरकार और महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार अब एक फिर आमने-सामने नजर आ रहे हैं। दरअसल, उद्धव ठाकरे सरकार ने बुधवार को राज्य में मामलों की जांच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के लिए बढ़ाई गई आम सहमति वापस ले ली। इसका अर्थ है कि राज्य में मामलों की जांच के लिए सीबीआई को पहले प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी होगी। इस फैसले से पहले से चल रही जांच पर फर्क नहीं पड़ेगा।

महाराष्ट्र सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब सीबीआई ने उत्तर प्रदेश सरकार की सिरफारिश के आधार पर टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (TRP) में कथित तौर पर हेरफेर किए जाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों के मुताबिक, मामला पहले लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक विज्ञापन कंपनी के प्रवर्तक की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे उत्तरप्रदेश सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया। बता दें कि टीआरपी में हेरफेर को लेकर मुंबई पुलिस ने खुलासा किया था और इसकी जांच के लिए कई लोगों को समन भेज चुकी है।

सुशांत केस की जांच सीबीआई द्वारा करने के विरोध में महाराष्ट्र सरकार
ध्यान रहे कि सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने को लेकर भी महाराष्ट्र सरकार ने आपत्ति जताई थी। मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और शीर्ष अदालत ने जांच सीबीआई को सौंप दिया।

3 राज्य सीबीआई को जांच के लिए दी गई आम सहमति वापस ले चुके हैं
बता दें कि गैर भाजपा शासित तीन राज्य (राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल) पहले ही अपने अधिकार क्षेत्र में सीबीआई को जांच के लिए दी गई आम सहमति वापस ले चुके हैं। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार का यह फैसला अभी चल रही अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच के प्रभावित नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि यह जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कराई जा रही है और इसलिए इसमें राज्य से अनुमति लेने की कोई आवश्यकता नहीं है।

यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा टीआरपी मामले के एक पहलू पर एफआईआर दर्ज करने और मामले को सीबीआई के हवाले करने के एक दिन बाद लिया गया है। महाराष्ट्र सरकार, यूपी सरकार के इस कदम को ऐसे प्रयास के रूप में देख रही है जिससे रिपब्लिक टीवी के खिलाफ चल रही मुंबई पुलिस की जांच को सीबीआई के हवाले की जा सके। सत्ता पक्ष के नेताओं का कहना है कि टीआरपी मामले में सीबीआई द्वारा मामला दर्ज किया जाना रिपब्लिक टीवी के खिलाफ मामले को हल्का करने की कोशिश है।
 

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