सोहराबुद्दीन केस: स्पेशल कोर्ट ने CBI जांच पर उठाए सवाल, कहा- कहानी की पटकथा जैसी थी जांच

सोहराबुद्दीन केस: स्पेशल कोर्ट ने CBI जांच पर उठाए सवाल, कहा- कहानी की पटकथा जैसी थी जांच

Tejinder Singh
Update: 2018-12-28 14:35 GMT
सोहराबुद्दीन केस: स्पेशल कोर्ट ने CBI जांच पर उठाए सवाल, कहा- कहानी की पटकथा जैसी थी जांच

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सोहराबुद्दीन शेख उसकी पत्नी कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति मामले से 22 आरोपियों  को बरी करने वाली सीबीआई की विशेष अदालत ने अपने फैसले में सीबीआई को सवालों के घेरे में खड़ा किया है। न्यायाधीश एसजे शर्मा ने 21 दिसंबर को दिए अपने फैसले में कहा है कि सीबीआई पहले से लिखी कहानी की पटकथा की तरह इस प्रकरण की जांच की है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि सीबीआई का ध्यान मामले की सच्चाई उजागर करने की बजाय इस बात पर लगा रहा कि कि कैसे राजनेताओं को फंसाया जाए। सीबीआई कि विशेष अदालत ने कहा कि इस पटकथा के तहत देश की प्रतिष्ठित जांच एजेंसी सीबीआई ने वह सबकुछ किया जो उसे अपना उद्देश्य पूरा करने के लिए जरुरी लगा और फिर उसी के मुताबिक आरोपपत्र दायर किया और गवाहों के बयान दर्ज किए। ताकि वह अपने दावे को अदालत में न्यायसंगत ठहरा सके। इसके अलावा सीबीआई ने जांच में न सिर्फ लापरवाही बरती, बल्कि जल्दबाजी दिखाई। मामले में ऐसे पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया, जिन्हें न तो इस मामले की जानकारी थी और न ही इस प्रकरण में कोई भूमिका निभाई थी।  

अमित शाह को मुक्त करने का फैसला सही                   
न्यायाधीश शर्मा ने अपने से पहले के न्यायाधीश के उस निर्णय को भी सही बताया है जिसके तहत मामले में आरोपी भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष व गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह को मुक्त किया गया था और सीबीआई की जांच को राजनीत से प्रेरित बताया गया था।

किसी को सजा न मिलना खेदजनक 
फैसले में यह भी कहा गया है कि इस मामले के आरोपियों को सजा न मिलना खेदजनक है और समाज में इसका विपरीत असर पडे़गा, लेकिन अदालत नैतिकता व आशंका के आधार पर आरोपियों को दोषी नहीं ठहरा सकती है। अभियोजन पक्ष का यह दायित्व है कि वह आरोपियों पर लगे आरोपों को संदेह के परे जाकर साबित करे, लेकिन पर्याप्त सबूतों के आधार पर वह ऐसा करने में विफल रहा है। लिहाजा मेरे पास आरोपियों को मामले से बरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए सभी आरोपियों को बरी किया जाता है। न्यायाधीश ने कहा है कि गवाहों ने अपने लिखे हुए बयान के विपरीत कोर्ट में बयान दिया है इसलिए उन्हें मुकरा हुआ गवाह कहा गया है। इसका एक अर्थ यह है कि गवाहों ने कोर्ट में सही बोला है, लेकिन सीबीआई ने जांच के दौरान आपराधिक प्रक्रिया की धारा 161 के तहत उनका गलत बयान दर्ज किया था।  

पुलिस हिरासत में मौत का मामला : अदालत के निर्देश न मानने पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को लगाई फटकार


दूसरे मामले में पुलिस हिरासत में एक युवक की मौत की जांच को लेकर अदालत के निर्देशों के प्रति उपेक्षात्मक रवैए अपनाने के लिए बांबे हाईकोर्ट ने सीबीआई व राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। यौन उत्पीड़न के बाद पुलिस हिरासत में मौत का शिकार हुए एग्नैलो वलडारेस के मामले की जांच व पुलिस स्टेशन को सीसीटीवी से लैस करने और दूसरे सुरक्षा उपाय को लेकर हाईकोर्ट ने साल 2014 में राज्य सरकार व सीबीआई को कई निर्देश जारी किए थे। न्यायमूर्ति बीपी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अदालत के पुराने निर्देशों को लागू करने में सरकार की विफलता साफ नजर आ रही है। इस पर खंडपीठ ने नाराजगी जाहिर करते हुए सीबीआई व राज्य सरकार को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि अदालत के निर्देशों का पालन न करने के लिए सरकार व सीबीआई के खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए। 

25 वर्षीय वल्डारेस को जीआरपी ने मुंबई के वडाला इलाके से 15 अप्रैल 2014 को चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद वल्डोरेस की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच को सीबीआई को सौप दिया गया था। सीबीआई ने जांच के दौरान पाया था कि इस मामले मामले में चार और लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इसमे एक नाबालिग था। हिरासत में इन सभी आरोपियों को प्रताड़ित किया गया था और उनका यौन उत्पीड़न किया गया था। 18 अप्रैल 2014 को वल्डारेस की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी जबकि तीन आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया था। पुलिस के अनुसार वाल्डारेस पुलिस हिरासत से भाग रहा था इसलिए रेल दुर्घटना में उसकी मौत हुई है। कोर्ट ने पुलिस कि इस बात को अस्वीकार कर दिया था और सीबीआई को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था। सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने कहा कि यदि मामले की अगली सुनवाई के दौरान हलफनामा नहीं दायर किया गया तो हम इस मामले में कार्रवाई का निर्देश जारी करेंगे।  
 

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