स्कालरशिप घोटाला : समाजकल्याण विभाग व नागपुर यूनिवर्सिटी 156 स्टूडेंट्स से वसूल करें एग्जाम फीस

स्कालरशिप घोटाला : समाजकल्याण विभाग व नागपुर यूनिवर्सिटी 156 स्टूडेंट्स से वसूल करें एग्जाम फीस

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-22 11:17 GMT
स्कालरशिप घोटाला : समाजकल्याण विभाग व नागपुर यूनिवर्सिटी 156 स्टूडेंट्स से वसूल करें एग्जाम फीस

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में बीते कुछ समय से विचाराधीन सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन से जुड़े स्कालरशिप घोटाले पर अपना फैसला दिया है। कॉलेज के विद्यार्थी लोकेश मेश्राम व अन्य की याचिका पर  कोर्ट ने समाजकल्याण  विभाग और राष्ट्रसंत तुकड़ोजी नागपुर विश्वविद्यालय से कहा कि, वे कॉलेज के 156 स्टूडेंट्स से एग्जाम फीस वसूल करने की कार्रवाई शुरू करे। बता दें कि, नवंबर-2017 के अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कॉलेज केे स्टूडेंट्स की स्वतंत्र एग्जाम लेने का आदेश नागपुर यूनिवर्सिटी को दिया था। समाजकल्याण विभाग को उनका एग्जाम फीस भरने को कहा गया था। कोर्ट ने इस मामले को अपने अगले फैसले के अधीन रखा था। इस साल जनवरी में कुल 156 स्टूडेंट्स ने एग्जाम दी थी। कोर्ट में जारी सुनवाई में स्पष्ट हुआ कि, इनमें से महज 10 स्टूडेंट्स स्कालरशिप के लिए पात्र हैं, ऐसे में हाईकोर्ट ने शेष 156 स्टूडेंट्स से एग्जाम फीस वसूल करने की कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया है।

कुबडे समिति ने की भ्रष्टाचार की पुष्टि
बता दें कि, पूर्व में हाईकोर्ट द्वारा गठित सेवानिवृत्त जिला न्यायधीश जी.एम. कुबडे की समिति ने सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन (सीआईआईएमसी) और नागपुर विश्वविद्यालय में 59 लाख 26 हजार रुपए के स्कालरशिप घोटाले की पुष्टि कर दी है। हाईकोर्ट में प्रस्तुत इस रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया था कि, इस घोटाला को समाजकल्याण विभाग, विशेष सहायता विभाग और नागपुर विश्वविद्यालय के अधिकारियों की आपसी मिलीभगत से अंजाम दिया गया है, जिसमें छात्रवृत्ति के लाभार्थी स्टूडेंट्स के नाम पर सीआईआईएमसी संचालक सुनील मिश्रा को 59 लाख 26 हजार रुपए का फायदा पहुंचाया गया है। इस रिपोर्ट पर हाईकोर्ट ने प्रतिवादी सुनील मिश्रा व अन्य ने अपने आपत्ति दर्ज करा दी है।  मामले में नागपुर यूनिवर्सिटी की ओर से एड. पी. सत्यनाथन ने पक्ष रखा।

कार्रवाई पर हैं निगाहें
नागपुर यूनिवर्सिटी और समाजकल्याण विभाग अब क्या कार्रवाई करता है, इस पर शिक्षा जगत की निगाहें लगी हुई हैं। संभावना जताई जा रही है कि, अगर विद्यार्थी परीक्षा शुल्क नहीं देंगे तो नागपुर यूनिवर्सिटी उनकी डिग्रियां रोक देगा।

यह था मामला
सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन के विद्यार्थी लोकेश मेश्राम समेत अन्य ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। उनका कहना था कि, समाज कल्याण विभाग ने उनका शैक्षणिक शुल्क, परीक्षा शुल्क और निर्वाह भत्ता नहीं दिया है। हाईकोर्ट में इसी प्रकरण से जुड़ी एक अन्य याचिका उमेश बोरकर ने दायर की, जिसमें उन्होंने सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन के संचालक सुनील मिश्रा पर स्कालरशिप में हेर-फेर करने का आरोप लगाया था।

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