चेन्नई - बांग्लादेश के बीच रो-रो जल परिवहन को गडकरी ने दिखाई हरी झंडी

चेन्नई - बांग्लादेश के बीच रो-रो जल परिवहन को गडकरी ने दिखाई हरी झंडी

Bhaskar Hindi
Update: 2017-10-29 11:54 GMT
चेन्नई - बांग्लादेश के बीच रो-रो जल परिवहन को गडकरी ने दिखाई हरी झंडी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर से वीडियो कांफ्रेंसिंग से केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी ने कोस्टल शिपिंग का उद्घाटन किया। शनिवार को चेन्नई बंदरगाह से बांग्लादेश के मोंगला पोर्ट के लिए जलमार्ग से अशोक लेलैंड के 185 ट्रकों की चेसिस भेजी गई। जिसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से गडकरी ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने बांग्लादेश दौरे में कोस्टल शिपिंग को बढ़ावा देने के लिए करार किया था। जिलाधिकारी कार्यालय सभागृह में आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान उन्होंने रोरो जल परिवहन सेवा के माध्यम से इस खेप को अधिकारिक मुहर लगाई।

 

पहली खेप में 185 ट्रक भेजे कुल 2.77 लाख किमी सफर की होगी बचत 

गडकरी ने कहा कि रेलवे और सड़क मार्ग की अपेक्षा जल परिवहन पर खर्च कम आता है। रेलवे परिवहन में खर्च अगर डेढ़ रुपए आएगा, तो जल परिवहन में यही खर्च घटकर 15 पैसे आएगा। चीन और जापान जैसे देशों में जल परिवहन को इसलिए बहुत महत्व दिया जाता है। सरकार भी जल मार्ग परिवहन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि देश में फिलहाल 6 प्रतिशत तक जल महामार्ग परिवहन होता है, लेकिन आनेवाले दो सालों में इसे 18 से 20 प्रतिशत तक करने का प्रयास किया जा रहा है। देश में साढ़े सात हजार किलोमीटर के समुद्री किनारे और 11 नदियों के जलमार्ग का रूपांतर किया जाएगा। जलमार्ग का उपयोग करने पर नए उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात कर रोजगार भी पैदा होगा। 

 

हर महीने भेजे जाएंगे करीब 500 ट्रक 

गडकरी के मुताबिक चेन्नई, गुड़गांव के साथ देश के विविध राज्यों में ऑटोमोबाइल उद्योगों का नियमित जलमार्ग से परिवहन को बढ़ावा देने के लिए विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। वाराणसी में गंगा नदी के जलमार्ग से मारुति वाहनों का निर्यात बांग्लादेश को किया जा चुका है। जल परिवहन से परिवहन खर्च में कटौती होने से वाहनों की कीमत भी 4 हजार रुपए तक कम हो जाती है। अशोक लेलैंड की ओर से 12 हजार ट्रकों की चेसिस बांग्लादेश, श्रीलंका के साथ अफ्रीकी देशों को जल मार्ग से  भेजा जाएगा। इसके लिए हर महीने करीब 500 ट्रक भेजे जाएंगे। इससे सड़क पर ट्राफिक का भार कम होगा

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