मेनका गांधी की अपील के बाद एक नरभक्षी बाघिन को मिला जीवनदान

मेनका गांधी की अपील के बाद एक नरभक्षी बाघिन को मिला जीवनदान

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-24 08:55 GMT
मेनका गांधी की अपील के बाद एक नरभक्षी बाघिन को मिला जीवनदान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। पांढरकावड़ा वन विभाग अंतर्गत रालेगांव तहसील में 13 लोगों का शिकार कर चुकी टी-1 बाघिन को मेनका गांधी के हस्तक्षेप के बाद जीवनदान मिल गया है। वन मंत्रालय ने यह फरमान जारी करते हुए नागपुर के वन अधिकारियों को पांढरकावड़ा में बाघिन को पकड़ने के लिए भेजा है। जब तक टी-1 बाघिन को पकड़ नहीं लेते तब तक अधिकारियों की वापसी पर सवाल बना है।

पहले दिए थे बेहोश करने व शूट करने के आदेश
बता दें कि इस बाघिन को कुछ समय पहले तक बेहोश कर या गोली मारने का आदेश दिया गया था। लेकिन वन्यजीव प्रेमियों के विरोध व  केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी के हस्तक्षेप करने के बाद प्रशासन  द्वारा भेजे शिकारी को पीछे हटना पड़ा है। रालेगांव परिसर में टी-1 नामक इस नरभक्षी बाघिन के हमले में 13 ग्रामीणों की मौत हुई है। ऐसे में इस बाघिन को ग्राम निवासियों के लिए खतरा देखते हुए वन विभाग ने इसे मारने के आदेश जारी किये थे। जिसके लिए निजी शूटर शहफत अली खान को बुलाया गया था। लेकिन इस बीच वन अधिकारी व शिकारी के बीच बाघिन को मारने को लेकर तालमेल नहीं बैठ रहा था। वहीं दूसरी ओर बाघिन द्वारा दो शावकों को जन्म देने के बाद  उसे मारने का वन्यजीवप्रेमियों ने लगातार विरोध किया था। कई संस्थाएं भी इसमें शामिल होकर बाघिन को नहीं मारने पर जोर देने लगी।

वन्यजीव प्रेमी करते रहे विरोध
मामला केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी तक पहुंचा। जिसके बाद बाघिन के फेवर में निर्णय लेते हुए वन विभाग ने बाघिन को जीवनदान देते हुए शिकारी को वापस भेज दिया। साथ ही बाघिन को कैद करने का निर्देश जारी किया है। जिसमें नागपुर मुख्यालय के प्रधान मुख्य वनसंरक्षक व अपर प्रधान मुख्य वनसंरक्षक को इस ऑपरेशन को पांढरकावड़ा के कार्यालय से ऑपरेट करने को कहा है। उल्लेखनीय है कि यवतमाल के फारेस्ट रेंज व रालेगांव क्षेत्र में इन दिनों यह बाघिन घूम रही है जिससे यहां आसपास रहने वाले लोगों की रातों की नींद व दिन का चैन उड़ गया है। बाघिन के खौफ से लोग घर से निकलने के लिए घबराने लगे हैं।

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