मनोरोगियों की जीवन शैली बदली, काम में हुए व्यस्त
खुशहाली मनोरोगियों की जीवन शैली बदली, काम में हुए व्यस्त
डिजिटल डेस्क, नागपुर। मनोरोगियों में कई तरह की मानसिक विकृतियां होती हैं। ऐसे लोगों को संभालना उपचार करना काफी मुश्किल कार्य होता है। सबसे बड़ी बात उनका दिमाग स्थिर नहीं होता। एकाग्रता से भटकने पर वह किसी भी घटना को अंजाम दे सकते हैं। इसलिए उन्हें एकाग्र रखने के अलग-अलग उपाययोजनाओं पर काम करना पड़ता है। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय में मनोरोगियों को मानसिक स्वास्थ्य व स्थिरता देने के लिए अनोखा प्रयोग किया गया है। जिसमें शत-प्रतिशत सफलता मिली है। मनोचिकित्सालय में इस समय 470 मनोरोगी भर्ती हैं। इनमें से 120 मनोरोगियों को दीप रंगने का काम सिखाया गया। अब यह सभी मनोरोगियों का मानसिक स्वास्थ्य इतना सुधर गया है कि वे दीप रंगने को अपनी जिम्मेदारी मान इस काम में मग्न हैं।
चुनौतीपूर्ण काम होने लगा आसान : मनोरोगियों की विकृतियां देखने के बाद उन्हें समझना, उनका उपचार करना और समुपदेशन के बाद उन्हें सामान्य जीवन जीने के लिए प्रेरित करना किसी आह्वान से कम नहीं होता। मनोचिकित्सक वर्षों से इस आह्वान को अपना काम मानकर करते चले आ रहे हैं। इस दौरान कभी कभी मनोरोगी उन पर हावी होते हैं। कौन सा मनोरोगी किस समय किस रूप में सामने आएगा इस बारे में बता नहीं सकते। मनोचिकित्सालय में भर्ती ऐसे ही 470 मरीजों में से 120 मरीजों पर दिवाली के बहाने अनोखा प्रयोग किया गया है।
काम से मिली स्थिरता : करीब 20 दिन पहले यहां के चिकित्सा अधीक्षक और विशेषज्ञों की टीम ने सोचा कि दिवाली के अवसर पर बाहर से दीये खरीदकर मनोरोगियों के हाथों से रंगने का प्रयोग किया जाए। सभी की सहमति मिलने के बाद बाहर से 3000 दीये खरीदकर लाए गए। पांच दिन तक मनोरोगियों को दीये रंगने, उन पर डिजाइन करने, रंगों का उपयोग करने आदि का प्रशिक्षण दिया गया। इसके बाद यह काम शुरू हुआ।मनोचिकित्सालय के विशेषज्ञों की निगरानी में 10 महिला और 10 पुरुषों की बैच बनाई गई। इस तरह 6-6 बैच बनाई गई। हर दिन नई बैच को दीये रंगने का काम दिया जाता था। अब भी यह काम शुरू है। इस काम को करने से मनोरोगियों के अस्थिर दिमाग में स्थिरता आने लगी है। उनका दिमाग पहले जैसा भटकता नहीं बल्कि काम में ही लगा रहता है। इस तरह प्रादेशिक मनोचिकित्सालय ने मनोरोगियों को सामान्य करने का नया प्रयोग किया है। इन मनोरोगियों की आयु 25 से 50 साल के बीच है। दिवाली के बाद भी इसी तरह के दूसरे प्रयोग किए जाएंगे।
भविष्य में किए जाएंगे विविध प्रयोग : दीये को मनोचिकित्सालय परिसर में ही बेचा जाएगा। इसके लिए यहां एक स्टॉल लगाए जाएंगे। इसके अलावा कुछ संस्थाओं से भी चर्चा की जाएगी। इन संगठनों के माध्यम से मनोरोगियों को मानसिक स्थिरता देने के लिए उपक्रम चलाने पर विचार किया जा रहा है, ताकि मनोरोगियों द्वारा तैयार की जाने वाली विविध सामग्री को संस्थाओं के माध्यम से बेचा जा सकेगा। दीये बेचने को लेकर भी संस्थाओं से बातचीत की जाएगी। प्रादेशिक मनोचिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पुरुषोत्तम मडावी ने बताया कि मनोरोगियों की मानसिकता को स्थिर रखने के लिए विविध प्रयोग किए जाएंगे।