बोफोर्स घोटाला नहीं था, राफेल पर उठ रहे सवाल का पीएम से जवाब चाहती है जनता : चिदंबरम
बोफोर्स घोटाला नहीं था, राफेल पर उठ रहे सवाल का पीएम से जवाब चाहती है जनता : चिदंबरम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राफेल विमान खरीद मामले में संदेह भरे सवाल उठाते हुए पूर्व केंद्रीय वित्त व गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि राफेल मामले में सरकार सच को सामने नहीं आने दे रही है। बोफोर्स खरीद मामले में किसी तरह का घोटाला नहीं था, जबकि राफेल खरीद मामले में कई संदेह हैं। इस मामले में देश की जनता जवाब चाहती है, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। राज्य में शहरी नक्सलवाद व आरोपियों की गिरफ्तारी के मामले में चिदंबरम ने कहा कि नक्सली तो जंगल में हैं। शहर में वैसी कोई स्थिति नहीं है, जैसा सरकार बताने का प्रयास कर रही है। कोरेगांव भीमा प्रकरण के बाद कुछ आरोपियों की गिरफ्तारी का निषेध जताते हुए उन्होंने कहा कि अलग विचारों वाले प्रबुद्धजनों को गिरफ्तार करके सरकार मूल प्रश्नाें से जनता का ध्यान भटकाना चाहती है। जानबूझ कर भय का वातावरण बनाया जा रहा है। शनिवार को रामदासपेठ स्थित होटल सेंटर प्वाइंट में पत्रकार वार्ता में चिदंबरम बोल रहे थे। इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विलास मुत्तेमवार व शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे आदि उपस्थित थे।
रक्षामंत्री ने नहीं दी जानकारी
चिदंबरम ने बताया कि यूपीए सरकार के समय 526 करोड़ की राफेल डील की गई थी। उस सौदे के तहत 126 एयरक्रॉफ्ट भारत सरकार को मिलनेवाले थे। 18 एयरक्रॉफ्ट प्रत्यक्ष मिलते। 108 का निर्माण भारत में किया जाना था। 10 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस गए। वहां उन्होंने 36 एयरक्रॉफ्ट खरीदने की घोषणा की। विदेश सचिव को भी उस खरीदी की जानकारी नहीं थी। रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण से पत्रकारों ने एयरक्रॉफ्ट की कीमत के बारे में सवाल किया था।
रक्षामंत्री ने जानकारी उपलब्ध कराने को कहा था, लेकिन वह जानकारी अब तक नहीं दी गई। फ्रांस के विदेश मंत्री भारत में कह चुके हैं कि एयरक्रॉफ्ट की कीमत यहां की सरकार चाहे तो सार्वजनिक कर सकती है, लेकिन सरकार की ओर से कोई जानकारी सामने नहीं आ रही है। डिजाल्ट कंपनी ने एक रिपोर्ट में 36 एयरक्रॉफ्ट की कीमत 60,135 करोड़ बताई है। इस लिहाज से एक एयरक्रॉफ्ट की कीमत 1670 करोड़ रुपए होती है। सरकार को साफ करना चाहिए कि एयरक्रॉफ्ट की कीमत 3 गुना कैसे बढ़ गई।
न्यायालय में जाना जरूरी नहीं
विविध सवालों के बीच नागपुर में फ्रांस के विदेश मंत्री ने विमान निर्माण प्रकल्प का भूमिपूजन किया। वह प्रकल्प रिलायंस का है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व भूतल परिवहन मंत्री नितीन गडकरी उस कार्यक्रम में थे। एक सवाल पर चिदंबरम ने कहा कि राफेल मामले को लेकर न्यायालय में जाना जरूरी नहीं है। हर समस्या का समाधान न्यायालय में ही नहीं होता है। संसद का भी महत्व है। संयुक्त संसदीय कमेटी के माध्यम से भी समस्याओं का समाधान होता है। नोटबंदी मामले पर उन्होंने कहा कि यह केवल कालेधन को सफेद करने का उपाय साबित हुआ है।
आरबीआई के पास 15.42 लाख करोड़ रुपए लौट आए हैं। केवल 10 हजार करोड़ रुपए विविध कारणों से नहीं आ पाए। नोटबंदी के दौरान लोगों की मृत्यु हुई। करीब डेढ़ करोड़ लोग बेरोजगार हुए। पत्रकार वार्ता में पूर्व मंत्री नितीन राऊत, पूर्व राज्य मंत्री राजेंद्र मुलक, कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विकास ठाकरे, प्रदेश प्रवक्ता अतुल लोंढे, प्रदेश सचिव उमाकांत अग्निहोत्री, अनंत घारड, अभिजीत वंजारी, अतुल कोटेचा प्रमुखता से उपस्थित थे।
एक नजर...
- यूपीए के समय 526 करोड़ रुपए विमान की कीमत थी, अब 1670 यानी पांच गुना कैसे बढ़ गई।
- पहला विमान 4 वर्ष में व आखिरी विमान 7 वर्ष में मिलेगा। फिर कैसे कह रहे हैं कि राफेल डील आपातकालीन खरीदी थी।
- निजी कंपनी को विमान के पार्ट्स निर्माण करने का काम देते समय हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स का क्या हुआ।
- डिजाल्ट एचएएल को भागीदार नियुक्त करना था, इस संबंध में केंद्र सरकार सामने क्यों नहीं आई।
- फ्रांस के अध्यक्ष कहते हैं कि यह सौदा गुप्तता का प्रश्न नहीं है। देश की रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण कहती हैं आफसेट के बारे में जानकारी नहीं है। फ्रांस सरकार झूठ बोल रही है या भारत सरकार जानकारी छिपा रही है। इसका जवाब देश की जनता को चाहिए।