PM मोदी से मिले CM उद्धव ठाकरे, मीटिंग के बाद कहा- देश के प्रधानमंत्री से मिलने गया था कोई नवाज शरीफ से नहीं

PM मोदी से मिले CM उद्धव ठाकरे, मीटिंग के बाद कहा- देश के प्रधानमंत्री से मिलने गया था कोई नवाज शरीफ से नहीं

Bhaskar Hindi
Update: 2021-06-08 09:30 GMT
PM मोदी से मिले CM उद्धव ठाकरे, मीटिंग के बाद कहा- देश के प्रधानमंत्री से मिलने गया था कोई नवाज शरीफ से नहीं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री आवास पर आज (मंगलवार) महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान सीएम ठाकरे ने महाराष्ट्र में कोरोनावायरस की स्थिति, मराठा आरक्षण, मेट्रो शेट और ताऊते तूफान से हुए नुकसान पर चर्चा की। इस मुलाकात के दौरान महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजीत पवार और महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण उपसमिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता अशोक च्वहाण भी मौजूद थे। प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात अच्छी रही। 

करीब एक घंटा चालीस मिनट चली इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा, भले ही राजनीतिक रूप से साथ नहीं हैं, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमारा रिश्ता खत्म हो गया है। मैं कोई नवाज शरीफ से थोड़े ही मिलने गया था, जो छिपकर मिलता। यदि मैं उनसे व्यक्तिगत मुलाकात करता हूं तो इसमें क्या गलत है?"

 

 

बता दें कि एक महीने से भी अधिक समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने से संबंधित 2018 का आरक्षण कानून खारिज कर दिया था। बता दें कि उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने के बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री से मिले हैं।प्रधानमंत्री के साथ होने वाली इस मुलाकात से पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने सोमवार शाम को ठाकरे से मुलाकात की। पिछले 15 दिनों में पवार की ठाकरे के साथ यह दूसरी बैठक है। 

आदित्य ठाकरे ने कहा, "जो भी राज्य के विषय हैं, नेशनल मुद्दें हैं और केंद्र सरकार से संबंध हैं उन पर बात होगी। मैं मीटिंग से पहले इन मुद्दों पर बात नहीं कर सकता। क्योंकि शायद उस पर बात करना उचित नहीं रहेगा। बिल्कुल केंद्र राज्य समन्वय की बात हो या फिर कोरोना की बात हो, इन सब मुद्दों पर ही चर्चा होगी। बैठक में सीएम साहब हैं, डीसीएम साहब हैं और भी दो चार लोग हैं।

प्रधानमंत्री के साथ हुई मुलाकात से सुलझेगा मराठा आरक्षण का मसला ?

आरक्षण को लेकर मराठा समुदाय में बढ़ रहे असंतोष के माहौल भांपते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे मंगलवार को प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिले। मुख्यमंत्री जिन एक दर्जन मसलों के समाधान को लेकर यहां प्रधानमंत्री से मिले, उसमें सबसे टॉप पर मसला मराठा आरक्षण का ही था। मुख्यमंत्री ने इस मसले को लेकर प्रधानमंत्री से चर्चा तो जरुर की, लेकिन इस मसले का हल केन्द्र सरकार द्वारा जिन निर्णायक कदम उठाने से निकल सकता है, उन बिंदूओं पर राज्य सरकार ने ज्यादा जोर ही नहीं दिया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मसले के समाधान को लेकर मुख्यमंत्री की प्रधानमंत्री से यह मुलाकात कितनी कारगर साबित होगी।

प्रधानमंत्री सभी मुद्दों पर सकारात्मक निर्णय लेंगे-सीएम


प्रधानमंत्री के लोक कल्याण मार्ग स्थित सरकारी आवास पर करीब डेढ घंटे तक चली बैठक में मुख्यमंत्री के साथ उपमुख्यमंत्री अजित पवार और सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण भी मौजूद थे। बैठक के बाद महाराष्ट्र सदन में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने बताया कि मराठा सहित ओबीसी के निकाय चुनावों में राजनीतिक आरक्षण, पिछडेवर्ग को पदोन्नति में आरक्षण, जीएसटी के मुआवजे की राशि देना, चक्रवात राहत उपायों के लिए एनडीआरएफ के नियमों में बदलाव करना, मराठी भाषा को अभिजात का दर्जा आदि मसलों को प्रधानमंत्री के समक्ष रखा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन सभी मसलों को प्रधानमंत्री ने गंभीरता से सुना। इसमें कोई राजनीतिक अभिनिवेश नहीं था। उम्मीद है कि वे इन मुद्दों पर वे सकारात्मक फैसला लेंगे।

मराठाओं को आरक्षण मिल सकता है, अगर…

मराठा आरक्षण का हल निकल सकता है, बशर्ते केन्द्र सरकार 102वें संविधान संशोधन में पुर्नसंशोधन करके उसमें राज्य सरकार को आरक्षण देने के अधिकार का क्लॉज जोड़े। यह इसलिए, क्योंकि केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में कहती रही है कि इस संशोधन से राज्य के अधिकार बाधित नहीं होते, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे संवैधानिक करार दिया है। दूसरा आरक्षण की 50 फीसदी की तय सीमा को बढाने संबंधी संसद में बिल पारित करें। मराठा आरक्षण पर प्रधानमंत्री से हुई बातचीत के बारे में पूछे सवाल का राज्य सरकार के मंत्री अशोक चव्हाण ने जवाब देते हुए इन मसलों पर चर्चा का कोई जिक्र नहीं किया। उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए कहा कि अब आरक्षण को लेकर राज्य से ज्यादा ताकत केन्द्र के पास है, ऐसे में केन्द्र सरकार को इस मामले में आगे बढ़कर कदम उठाना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भी पक्ष रखना चाहिए। चव्हाण ने केन्द्र द्वारा 102वें संविधान संशोधन पर दायर पुनर्विचार याचिका का जिक्र किया, लेकिन यह नहीं बताया कि प्रधानमंत्री से यह भी अनुरोध किया कि पुनर्विचार याचिका में आरक्षण की 50 फीसदी तय सीमा बढाए जाने संबंधी मुद्दे को भी जोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जल्द ही पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।  

जीएसटी का 24 हजार करोड़ हिस्सा मिलना बाकी

इस दौरान उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि आरक्षण का मसला केवल महाराष्ट्र का नहीं है, बल्कि देशभर का है। वहीं जीएसटी को लेकर उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का जीएसटी के मुआवजे का केन्द्र की तरफ अब भी 24306 करोड रुपये का हिस्सा मिलना बाकी है। इसे शीघ्र राज्य को मुहैया कराए जाने का प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है, ताकि राज्य को कोरोना संकट से मुकाबला करने के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत करने में मदद मिलेगी। पवार ने कहा कि 2021 में ओबीसी की जातीय जनगणना, मराठी भाषा को अभिजात दर्जा शीघ्र दिए जाने के मुद्दे के अलावा राज्यपाल नियुक्त 12 सीटों को जल्द भरने बाबत राज्यपाल को निर्देश देने की भी मांग रखी।  
 

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