प्रमुख सचिव और डीएमई हाजिर होकर बताएं कैसे रोकी एनआरआई कोटे की काउंसलिग

 प्रमुख सचिव और डीएमई हाजिर होकर बताएं कैसे रोकी एनआरआई कोटे की काउंसलिग

Bhaskar Hindi
Update: 2019-05-04 07:35 GMT
 प्रमुख सचिव और डीएमई हाजिर होकर बताएं कैसे रोकी एनआरआई कोटे की काउंसलिग

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। हाईकोर्ट ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और डीएमई को 4 मई को कोर्ट में हाजिर होकर यह बताने के लिए कहा है कि मेडिकल पीजी प्रवेश में एनआरआई कोटे की काउंसलिंग कैसे रोक दी गई। जस्टिस आरएस झा और जस्टिस संजय द्विवेदी की युगल पीठ ने प्रमुख सचिव और डीएमई से यह स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है कि कोर्ट के आदेश की मनमानी व्याख्या कर एनआरआई कोअे की काउंसलिंग कैसे रोक दी गई।

कोर्ट के आदेश की मनमाने तरीके से व्याख्या
युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 3 अप्रैल को मेडिकल पीजी प्रवेश की काउंसलिंग पर रोक लगाने से मना किया जा चुका है। 30 अप्रैल को प्रमुख सचिव और डीएमई को निर्देश दिए गए थे कि दूसरे चरण की काउंसलिंग की रिपोर्ट पेश की जाए। इसके साथ ही एनआरआई सीटों का स्टेटस बरकरार रखा जाए। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई कि डीएमई ने कोर्ट के आदेश की मनमाने तरीके से व्याख्या करते हुए दूसरे चरण की काउंसलिंग रोक दी। इस पर नाराजगी जताते हुए युगल पीठ ने प्रमुख सचिव और डीएमई को 4 मई को कोर्ट में हाजिर होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया है।

एनआईआर कोटे की सीटें के आय का प्रमुख जरिया
निजी कॉलेज एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 15 प्रतिशत एनआरआई कोटा हर निजी मेडिकल कॉलेज के लिए प्रावधानिक किया गया है। राज्य शासन द्वारा एनआईआर कोटे की 15 प्रतिशत सीटों को एनआईआर कोटे में परिवर्तित किया जा रहा है। निजी मेडिकल कॉलेजों के लिए एनआईआर कोटे की सीटें के आय का प्रमुख जरिया है। वहीं एनआईआर छात्र रजनीश मिश्रा और दिव्य ज्योति की ओर से दायर याचिका में भी कहा गया है कि एनआरआई कोटे की सीटों को सामान्य वर्ग की सीटों में परिवर्तित कर बेचा जा रहा है। याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता सिद्द्धार्थ राधेलाल गुप्ता, आदित्य संघी ने पक्ष रखा। राज्य शासन की ओर से उप महाधिवक्ता प्रवीण दुबे, शासकीय अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा और एमसीआई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा नायर ने पक्ष रखा।
 

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