जिले के 70 फीसदी विद्यार्थियों को अभी तक नहीं मिलीं स्कूल ड्रेस
जिले के 70 फीसदी विद्यार्थियों को अभी तक नहीं मिलीं स्कूल ड्रेस
डिजिटल डेस्क, शहडोल। जिले में स्कूली बच्चों को ड्रेस वितरण के नियमों में किए गए बदलाव से अभी तक 70 फीसदी बच्चों को बिना ड्रेस के ही स्कूल जाने पर मजबूर कर दिया है। बच्चे पुराने और मैले-फटे हुए ड्रेस में पढऩे स्कूल पहुंच रहे हैं। जो गणवेश जुलाई या अगस्त महीने में बंट जाने चाहिए थे उनका वितरण दिसंबर के अंतिम सप्ताह से शुरु हो पाया। अभी तक 75346 ड्रेस का वितरण किया जा चुका है, जबकि जिले के 2124 माध्यमिक-प्राथमिक स्कूलों के 125369 बच्चों को 250738 ड्रेसों का वितरण किया जाना है। जिले के 1627 प्राथमिक और 498 माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत 64674 बालकों और 66196 बच्चियों को गणवेश मिलने हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रति छात्र 600 रूपये गणवेश की राशि छात्र संख्या के हिसाब से संबंधित समूहों के खातों में दी गई है। गौरतलब है कि गत वर्ष तक गणवेश की राशि सीधे बच्चों के खातों में डाली जाती थी, जिससे वे अपने मन पसंद की ड्रेस खरीद लेते थे। एनआरएलएम के माध्यम से महिला समूहों की माली हालत में सुधार के साथ महिलाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए बच्चों की डे्रस सिलाई का कार्य सौंपा गया है। जिले के करीब 800 एसएसजी समूहों की 1004 से अधिक महिलाओं को काम पर लगाया गया है। गणवेश मिलने की डेड लाईन पहले 15 सितम्बर तय की गई थी। राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा शहडोल ही नहीं बल्कि अन्य जिलों में भी संभवत: बच्चों को गणवेश के लिए यही तिथि दी गई थी। सूत्रों के अनुसार अधिकांश जिलों में समूहों द्वारा समय सीमा में कपड़े न सिल पाने और उनके पास ऐसी दक्षता न होने के अनुमान के बाद गणवेश सिलने का काम इन्हें न देकर पूर्व की भांति बच्चों के खातों में डाल दिया गया।
सिलाई हो चुकी है
गणवेश सिलाई का काम लगभग पूरा हो चुका है। तीस प्रतिशत बच्चों को वितरण कराए भी जा चुके हैं। सिलाई के बाद पैकिंग कराई जा रही है। संंबंधित संस्थाओं में जाकर कुछ ही दिनों में वितरण का कार्य शत प्रतिशत पूरा करा लिया जाएगा। -पुष्पेंद्र सिंह, समन्वयक एनआरएलएम