बच्चों ने पेश किए एक से बढ़कर एक मॉडल, कुलपति ने की तारीफ

बच्चों ने पेश किए एक से बढ़कर एक मॉडल, कुलपति ने की तारीफ

Anita Peddulwar
Update: 2018-12-04 07:43 GMT
बच्चों ने पेश किए एक से बढ़कर एक मॉडल, कुलपति ने की तारीफ

डिजिटल डेस्क, नागपुर। समाज के कमजोर तबके के इन बच्चों ने जिस तरह अपने प्रयोग प्रस्तुत किए, वह महत्वपूर्ण है। मेरा मानना है कि, सही मायने में यही ‘इंडिया शाइनिंग’ है। यह विचार शिक्षा और अनुसंधान विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर के कुलपति प्रो. अमित बनर्जी ने व्यक्त किए। एसोसिएशन फॉर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इन बेसिक साइंस एजुकेशन व नागपुर महानगर पालिका के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रभाषा भवन परिसर, उत्तर अंबाझरी मार्ग में आयोजित पांच दिवसीय अपूर्व विज्ञान मेले का समापन हुआ। इस अवसर पर श्री बनर्जी बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि, अपूर्व विज्ञान मेला विज्ञान शिक्षा की दिशा में देश भर में अनोखा प्रयोग है। इसका विस्तार होना चाहिए।

प्रयोग समझाते हुए बच्चों का आत्मविश्वास काबिले तारीफ था। उनके बताने से साफ पता चलता था कि, बच्चों ने सिद्धांतों को रटा नहीं है, बल्कि समझा है। हर प्रयोग में बच्चों की पूरी सहभागिता थी। सबसे बड़ी बात यह थी कि, इन बच्चों ने सुझावों को ध्यान से सुना। आम बच्चों की तरह प्रतिक्रिया नहीं दी। अभावों के बीच जी रहे ये बच्चे ही सही मायने में देश का गौरव हैं। बता दें कि, श्री बनर्जी का हार्ट सर्जरी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान है। संस्था के सचिव सुरेश अग्रवाल ने श्री बनर्जी का स्वागत किया और उन्हें मेला के संबंध में जानकारी दी। साथ में नचिकेता शर्मा, स्वर्णलता महाकुर, संतोष गाहाण और ब्रह्मानंद स्वाईं भी उपस्थित थे। इस दौरान डॉ. अनुपमा हर्षल ने सभी का मार्गदर्शन किया। 

स्टूडेंट,पैरेंट्स और टीचर्स ने उठाया लाभ
मुंबई स्थित किसनचंद चेलाराम महाविद्यालय की इंडो-यूएस फोल्डस्कोप पुरस्कार प्राप्त डा. अनुपमा हर्षल ने कहा कि, असल बात तो सोच और समझ के स्तर की है। यहां का वातावरण और बच्चों का उत्साह देखने के बाद अब हर साल यहां आने की इच्छा है। नजरिये में बस थोड़ा सा परिवर्तन ही विज्ञान शिक्षा को मनोरंजक बना देता है। गत पांच दिनों में हजारों विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों ने मेले का लाभ उठाया। अभिभावकगण भी बड़ी संख्या में मेला देखने आए। मेले में आस-पास उपलब्ध वस्तुओं से निर्मित सरल, सुगम और कम खर्चीले विज्ञान के करीब 100 प्रयोग प्रदर्शित किए गए थे।

शरीर के अंगों को बारीकी से जाना  
भौतिक शास्त्र, रसायन शास्त्र व गणित के ज्यादातर प्रयोगों को लोग बारीकी से समझते रहे। शरीर के हृदय, मस्तिष्क, आंख, किडनी जैसे असली अंग भी खासे आकर्षण का केंद्र रहे। छत्तीसगढ़ से शिक्षकों का दल भी मेला देखने पहुंचा। इनमें राजनांदगांव के अभिषेक शुक्ला, कांकेर के लखनलाल साहू, कुमार मडावी, महासमुंद के देवेंद्र नायक, धमतरी के कमल चंद्रवंशी और भाटापारा के केशव वर्मा शामिल थे। मनपा के मेला समन्वयक राजेंद्र पुसेकर और शिक्षिका ज्योति मेडपिलवार, नीता गडेकर, पुष्पलता गावंडे, नीलिमा अढाऊ, दीप्ति बिष्ट, वंदना चव्हाण, मनीषा मोगलेवार, संगीता कुलकर्णी, सुनीता झरबड़े के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों ने प्रयोग बखूबी प्रस्तुत किए।
  
 

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