एक डिवीजन बेंच दूसरी डिवीजन बेंच का आदेश ओवररूल नहीं कर सकती : जबलपुर हाई कोर्ट

एक डिवीजन बेंच दूसरी डिवीजन बेंच का आदेश ओवररूल नहीं कर सकती : जबलपुर हाई कोर्ट

Bhaskar Hindi
Update: 2018-03-15 07:56 GMT
एक डिवीजन बेंच दूसरी डिवीजन बेंच का आदेश ओवररूल नहीं कर सकती : जबलपुर हाई कोर्ट

डिजिटल डेस्क जबलपुर । पोषण आहार सप्लाई को लेकर इन्दौर खण्डपीठ की दो डिवीजन बैंचों के विरोधाभासी आदेशों को चीफ जस्टिस हेमन्त गुप्ता और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने ज्यूडीशियल इनडिसिप्लिन करार दिया है।
बुधवार को तीन मामलों की सुनवाई मुख्यपीठ जबलपुर में करते हुए चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली युगलपीठ ने दो टूक कहा कि एक डिवीजन बैंच दूसरी डिवीजन बैंच का आदेश ओवररूल नहीं कर सकती। युगलपीठ ने इन्दौर में जस्टिस जायसवाल की अध्यक्षता वाली डीबी द्वारा जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली बैंच के आदेश पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेशों को वापस ले लिया। साथ ही सरकार को 3 माह के शॉर्ट टर्म टेण्डर की अनुमति देते हुए साफ तौर पर हिदायत दी कि एमपी एग्रो की ज्वॉइंट वैंचर वाली तीनों कंपनियां या उनके पार्टनर नए ठेके  में शामिल नहीं हो सकेंगे। इसके साथ ही युगलपीठ ने राज्य सरकार को मामले पर जवाब पेश करने का समय देते हुए मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च को निर्धारित की है। युगलपीठ ने ये निर्देश इन्दौर से ट्रांसफर होकर आए तीन मामलों पर बुधवार को 35 मिनट  तक चली सुनवाई के बाद दिए। सुनवाई के दौरान ठेकेदार कंपनी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र तिवारी, पीआर भावे, अधिवक्ता प्रियांक अवस्थी, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव, उपमहाधिवक्ता पुष्पेन्द्र यादव, शासकीय अधिवक्ता अमित सेठ और हस्तक्षेपकर्ता पीयूसीएल की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सेठ हाजिर हुए।
कोर्ट रूम लाइव
>    दोपहर 3:20 बजे मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस हेमन्त गुप्ता की कोर्ट में शुरू हुई।
>    कोर्ट ने पूछा यह सब क्या चल रहा। सरकार का एक अधिकारी कहता है कि सप्लाई बंद हो चुकी है, जबकि दूसरा अधिकारी सप्लाई जारी होने की बात कह रहा।
>    महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने कहा- अनिल ट्रेडर्स, जेसीबी फूड और मुरली एग्रो द्वारा की जा रही सप्लाई बंद कर दी गई है। 6 माह के भीतर राज्य सरकार प्रदेश मेें 7 स्थानों पर अपने प्लान्ट्स लगाएगी। इस बीच पोषण आहार की सप्लाई बंद न हो, इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी के बाद पोषण आहार की आपूर्ति करने 3 माह के लिए शॉर्ट टर्म टेण्डर निकाले जाएंगे।
>    अभी तक यह पूरा संगामित्ती का खेल चल रहा था। अब ध्यान रखा जाए कि 3 माह वाले टेण्डर में अभी पोषण आहार सप्लाई करने वाले तीनों ठेकेदार या उनकी कंपनी उसमें शामिल न हो सके।
>    कोर्ट ने सरकार  को अगली सुनवाई पर ठेके का स्टेटस बताने कहा। साथ ही साथ यह भी बताने कहा कि 13 सितंबर को जस्टिस शर्मा की अध्यक्षता वाली बैंच द्वारा दिए गए फैसले के परिप्रेक्ष्य में क्या-क्या कार्रवाई हुईं, उसका ब्यौरा भी राज्य सरकार पेश करे।
क्या है मामला
पीपुल्स फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के तहत 13 सितंबर 2017 को इन्दौर खण्डपीठ के जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस आलोक वर्मा की युगलपीठ ने सरकार को पोषण आहार सप्लाई के मामले का नया टेण्डर जारी करने का आदेश दिया था। उक्त आदेश का पालन न होने पर बैंच ने वर्ष 2018 में स्वमेव संज्ञान लेकर सरकार के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज किया था। राज्य सरकार द्वारा नए टेण्डर को लेकर की जा रही कार्रवाई के खिलाफ दायर मामले पर जस्टिस पंकज जायसवाल और जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने 27 फरवरी 2018 को रोक लगा दी। इसके बाद सरकार द्वारा एमपी स्टेट एग्रो से पोषण आहार की सप्लाई बंद करने को लेकर जारी आदेश पर भी जस्टिस पीके जायसवाल और जस्टिस वीरेन्द्र सिंह की युगलपीठ ने 13 फरवरी को रोक लगा दी थी।

 

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