कोल इंडिया में फिर 10 फीसदी हिस्सेदारी की होगी बिक्री, निजी हाथों में पहुंच सकता है कारोबार

कोल इंडिया में फिर 10 फीसदी हिस्सेदारी की होगी बिक्री, निजी हाथों में पहुंच सकता है कारोबार

Bhaskar Hindi
Update: 2018-09-22 12:41 GMT
कोल इंडिया में फिर 10 फीसदी हिस्सेदारी की होगी बिक्री, निजी हाथों में पहुंच सकता है कारोबार

डिजिटल डेस्क, छिन्दवाड़ा/परासिया। केन्द्र सरकार ने कोल इंडिया में एक बार फिर विनिवेश की मंजूरी दे दी है। जिसके तहत कोल इंडिया द्वारा 10 फीसदी निजी हिस्सेदारी को बढ़ाने शेयर जारी करेगी, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। अभी सरकार की कोल इंडिया में हिस्सेदारी 78.34 फीसदी है। जो अब 10 फीसदी शेयर बिक्री के बाद घटकर 68.34 फीसदी रह जाएगा। सरकार का शेयर कोल इंडिया में 51 फीसदी से कम होने पर यह निजी कम्पनी के हाथों में चली जाएगी।

विनिवेश से कम्पनी में काम करने वाले कर्मियों पर इसका दूरगामी असर पड़ सकता है। सरकार की दखल अंदाजी धीरे-धीरे कम होती जाएगी। अपनी मांगों को लेकर कर्मी फिर सरकार पर दबाव बनाने में कमजोर पड़ेंंगे। ट्रेड यूनियनों की दखल अंदाजी कम होगी। निजी लोगों का कम्पनी में दबाव बढ़ेगा। सरकार का यह निर्णय निजीकरण की रणनीति माना जा रहा है।

80 हजार करोड़ रुपए जुटाने की संभावना
सरकार को कोल इंडिया की दस फीसदी हिस्सेदारी बेचने से करीब 80 हजार करोड़ रुपए जुटाने की संभावना है। वर्ष 2015 में सरकार ने अपनी दस फीसदी हिस्सेदारी बेचकर करीब 21 हजार करोड़ रुपए जुटाए थे।

शेयर के मूल्य का नहीं निर्धारण
सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम कोल इंडिया का विनिवेश कर सरकार पूंजी एकत्रित करना चाहती है। जिसके लिए सरकार द्वारा आईपीओ के तहत कोल इंडिया के दस फीसदी शेयर कितने मूल्य वाले कितने जारी होंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है।

मंत्रिमंडल समिति के अनुमोदन पर मिली मंजूरी
सरकार की आर्थिक कार्य संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने वर्ष 2015 में आयोजित अपनी बैठक में कोल इंडिया में सरकार की 78.34 फीसदी शेयर धारिता में से दस फीसदी पूंजी का निवेशन करने अनुमोदन किया था। सरकार ने समिति के अनुमोदन को स्वीकार करते हुए कोल इंडिया में विनिवेश को मंजूरी दी है।

इनका कहना है
भाजपा जिसका विरोध करती रही, सरकार में आकर उसे ही आगे बढ़ा रही है। कांग्रेस सरकार ने कम्पनी कामगारों को इससे मजबूत करने का प्रयास किया, किन्तु भाजपा सरकार द्वारा कोल इंडिया के शेयर को खुले बाजार में बेचकर कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के पूर्व की स्थिल में ढकेलने का प्रयास कर रही है।
 सोहन वाल्मिक, विधायक और अध्यक्ष, इंटक, पेंच-कन्हान क्षेत्र

 

Similar News