बैंक से करार खत्म होने के बाद सैलरी में खपाए जा रहे सिक्के, कर्मचारी परेशान

बैंक से करार खत्म होने के बाद सैलरी में खपाए जा रहे सिक्के, कर्मचारी परेशान

Anita Peddulwar
Update: 2021-04-03 13:41 GMT
बैंक से करार खत्म होने के बाद सैलरी में खपाए जा रहे सिक्के, कर्मचारी परेशान

डिजिटल डेस्क, मुंबई । बृहन्मुंबई बिजली आपूर्ति और परिवहन (बेस्ट) के कर्मचारी वेतन के रुप में मिल रहे सिक्कों से परेशान हैं। बैंक के साथ करार खत्म होने के बाद अब बेस्ट को मिल रहे लाखों रुपयों के सिक्के खपाने के लिए अपने कर्मचारियों को वेतन के रुप पहले की अपेक्षा ज्यादा सिक्के देने पड़ रहे हैं।  बेस्ट के 40,000 कर्मचारियों को पिछले कुछ महीने से वेतन का बड़ा हिस्सा सिक्के के तौर पर मिल रहा है। बेस्ट उपक्रम 4,000 बसों के संचालन के साथ करीब 10 लाख उपभोक्ताओं के घरों में बिजली की आपूर्ति करता है। टिकट के किराये और बिजली बिल के लिए नकदी के तौर पर उपक्रम को भारी संख्या में सिक्के मिलते हैं। बेस्ट कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सुनील गणाचार्य ने बताया कि बेस्ट के खजाने में काफी रकम जमा है लेकिन पिछले साल निजी क्षेत्र के एक बैंक से अनुबंध खत्म होने के बाद कोई भी बैंक बेस्ट के 100-150 संग्रहण केंद्रों से सिक्के लेने को तैयार नहीं है। बेस्ट के कुछ कर्मचारियों ने कहा कि पहले भी सिक्कों के रूप में वेतन का कुछ हिस्सा मिलता रहा है। लेकिन अब अनुपात बढ़ गया है।

एक कर्मचारी ने बताया कि मुझे वेतन के तौर पर 11,000 रुपये की नकदी और सिक्के मिले जबकि उससे एक महीने पहले सिक्कों के तौर पर 15,000 रुपये मिले थे। आम तौर पर हमें दो रुपये, पांच रुपये के सिक्के और 10 रुपये के नोट मिलते हैं। इसके अलावा नकदी के तौर पर 50 रुपये, 100 रुपये और 500 रुपये के कुछ नोट दिए जाते हैं। बाकी रकम सीधे हमारे खाते में जमा करा दी जाती है।’’ गणाचार्य ने इसे राज्य का मामला बताते हुए कहा कि सिक्कों के तौर पर वेतन की व्यवस्था से कुछ कर्मचारियों को ईएमआई भुगतान करने और अन्य चीजों में दिक्कतें आती हैं। उन्होंने कहा कि बेस्ट के कुछ कर्मचारी अंबरनाथ, बादलपुर, पनवेल या विरार-वसई जैसे क्षेत्रों में रहते हैं और उपनगरीय लोकल ट्रेनों से सफर करते हैं। इतनी नकदी खासकर सिक्कों के तौर पर लेकर चलने में काफी असुविधा होती है और इसमें खतरा भी रहता है। उन्होंने कहा कि बेस्ट की कमेटी ने नकदी संग्रह के लिए जनवरी में एक निजी बैंक के साथ समझौता करने को मंजूरी दे दी थी लेकिन कुछ मुद्दों के कारण नकदी ले जाने में देरी हुई। बेस्ट के कामगारों की यूनियन के नेता शशांक राय ने कहा कि वेतन के रूप में सिक्के देने की व्यवस्था अस्वीकार्य है और इससे कर्मचारियों को दिक्कतें होती है और इस बारे में प्रशासन को कई बार अवगत भी कराया गया। 
 

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