हर ग्राम पंचायत में गौ-शाला खोलने का कार्य प्रारंभ,शासन स्तर से मांगी गई जानकारी

हर ग्राम पंचायत में गौ-शाला खोलने का कार्य प्रारंभ,शासन स्तर से मांगी गई जानकारी

Bhaskar Hindi
Update: 2018-12-27 07:49 GMT
हर ग्राम पंचायत में गौ-शाला खोलने का कार्य प्रारंभ,शासन स्तर से मांगी गई जानकारी

डिजिटल डेस्क शहडोल। जल्द ही नगरीय, ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों पर घूमने वाले आवारा मवेशियों की समस्या से निजात मिलने वाली है। किसानों की कर्जमाफी की घोषणा के बाद प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने हर ग्राम पंचायत में गौशाला के गठन के लिए कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए जिलों से प्रस्ताव मांगे गए हैं। भोपाल से निर्देश मिलने के बाद पशुपालन विभाग ने जिले में एक पंचायत-एक गौ-शाला के लिए सर्वे शुरू कर दिया है। उपसंचालय पशु चिकित्सा सेवा ने जिले के सभी विकासखंडों के पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारियों को 24 दिसंबर को पत्र जारी किया है। इसमें ग्राम पंचायतवार जानकारी एकत्र कर एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इसमें मुख्य रूप से ग्राम पंचायतों में गौशाला के लिए उपलब्ध भूमि (शासकीय या दान पर) के बारे में जानकारी मांगी गई है। इसके अलावा गौशाला के संचालन के लिए ग्राम पंचायतों में उपलब्ध ट्रस्ट या अशासकीय संस्था और पंचायत के अंतर्गत आने वाले एरा (लावारिस) मवेशियों की जानकारी मांगी गई है। पत्र के साथ एक फॉर्मेट भी भेजा गया है, जिसमें ग्राम पंचायतवार जानकारी भरकर भेजना है। 

जिले में काफी समय से है ऐरा की समस्या
जिले में आवारा मवेशियों को लेकर शहर समेत ब्लॉकों में लंबे समय से समस्या बनी हुई है। सड़कों पर विचरण करने वाले आवारा पशुओं की वजह से कई बार सड़क हादसे भी होते हैं। जिला मुख्यालय में तो हर गली मोहल्ले में आवारा पशुओं को देखा जा सकता है। यहा से समय-समय पर मवेशियों को पकडऩे की कार्रवाई की जाती है और उनको विचारपुर स्थित गौशाला में भेजा जाता है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में गौ-शाला नहीं होने से ये पशु न सिर्फ हादसों का करण बनते हैं, बल्कि फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गौ-शाला खुलने से ऐसे मवेशियों को सीधे गौ-शाला भेजा जाएगा। ताकि पालन पोषण हो सके।

जिले में 391 पंचायतें
जिले में कुल 391 पंचायतें हैं। इनमें से बुढ़ार विकासखंड में 120, सोहागपुर में 77, गोहपारू में 58, जयसिंहनगर 87 और ब्यौहारी विकासखंड में 67 ग्राम पंचायतें हैं। सबसे ज्यादा पंचायतें बुढ़ार विकाखंड में हैं। बताया जाता है कि गांवों में गौ-शालाओं के लिए पर्याप्त जमीन है। एक बार जमीन चिन्हित हो जाएगी तो राजस्व विभाग सरकारी जमीनों का सर्वे कर गौ-शालाओं को आवंटित करने की कार्रवाई करेगा।  पंचायत में खाली पड़ी सरकारी जमीन पर आपत्तियां बुलाकर आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

वीसी में दिए गए निर्देश
अधिकारियों ने बताया कि 18 दिसंबर को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में संचालक पशुपालन मप्र द्वारा ग्राम पंचायत स्तर पर गौ-शाला गठन से संबंधित जानकारी संकलित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसी के अनुपालन में 21 दिसंबर को संयुक्त संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं रीवा संभाग का पत्र भी उपसंचालक को आया है। इसमें भी गौ-शाला के गठन संबंधी जानकारी एकत्र करने के लिए कहा गया है। प्रत्येक गौ-शाला में पशुओं की क्षमता कितनी होगी। आसानी से मवेशी विचरण कर पाएं।

इनका कहना है
 गौशाला को लेकर जिले के सभी ग्राम पंचायतों का सर्वे कराया जा रहा है। इसके लिए सभी विकासखंडों के पशु चिकित्सा विस्तार अधिकारियों को पत्र जारी कर दिया गया है। -डॉ. जितेंद्र सिंह, उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं

 

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