सरकार कहती न्यूनतम वेतन दो, 7-8 हजार में काम करने को मजबूर ठेका कामगार

सरकार कहती न्यूनतम वेतन दो, 7-8 हजार में काम करने को मजबूर ठेका कामगार

Tejinder Singh
Update: 2018-09-27 16:21 GMT
सरकार कहती न्यूनतम वेतन दो, 7-8 हजार में काम करने को मजबूर ठेका कामगार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकार ने ठेका पध्दति पर काम करनेवाले कामगारों को न्यूनतम वेतन जरूरी कर दिया है, लेकिन सरकार व उसके मातहत काम करनेवाले विभागों में ही ठेका कामगारों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा। कामगारों से 7-8 हजार रुपए में (प्रति माह) काम लिया जा रहा है। ठेकेदारों व कंपनी पर नकेल कसने का काम जिस श्रम विभाग पर है, उसे सरकार के आदेश ने सफेद हाथी बना दिया है। शिकायत मिलने के बाद ही कार्रवाई करने का आदेश श्रम विभाग को दिया गया है। सरकारी व निजी संस्थानों में हजारों कामगारों का इसतरह उत्पीड़न हो रहा है। सरकारी विभागों में चतुर्थ श्रेणी की भर्ती लगभग बंद है। आउटसोर्सिंग के माध्यम से यहां काम किया जा रहा है। ठेकेदारों के माध्यम से सफाई, चपरासी, अटेंडट, फाइलिंग, आपरेटर जैसे काम लिए जा रहे है। इसके लिए बाकायदा टेंडर जारी हो रहे है।

जो टेंडर जारी हो रहे है, उसमें भी न्यूनतम वेतन देने का उल्लेख होता है। ठेकेदारों की तरफ से नियुक्त ठेका कामगारों को प्रति माह 7-8 हजार वेतन दिया जा रहा है। श्रम कानून के तहत सप्ताह में एक दिन का अवकाश अनिवार्य है। 26 दिन का वेतन 10 हजार से ज्यादा मिलना चाहिए। 30 दिन काम लेकर 8 हजार रुपए प्रति माह वेतन दिया जा रहा है। शिकायत करने पर काम से हाथ धोने का खतरा कामगार पर बना रहता है। कामगारों का उत्पीडन रोकने के लिए बने श्रम विभाग को सरकार के आदेश ने सफेद हाथी बना दिया है। सरकार का आदेश है कि श्रम अधिकारी अपने स्तर पर कार्रवाई न करे। शिकायत मिलने के बाद ही ठेकेदार या कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाए। सरकार का यह फरमान सीधे तौर पर ठेकेदार व कंपनी को फायदा पहुंचाने में मददगार हो रहा है। 

स्वास्थ्य उपसंचालक कार्यालय माता कचेरी, राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज कैंसर हास्पीटल, इंस्टिट्यूट आफ साइंस में ठेका पध्दति पर कार्यरत कामगारों को न्यूनतम वेतन कानून का लाभ नहीं मिल रहा। संबंधित संस्थानों का प्रबंधन भी कामगारों के हित में कभी ठेकेदार से बात नहीं करता। शहर के अधिकांश संस्थानों में कामगारों का उत्पीड़न जारी है। श्रम विभाग में सालों से अधिकारियों की इतनी ज्यादा कमी है कि अधिकारी उपलब्ध काम भी पूरा नहीं कर सकते। अधिकारी नहीं होने से श्रम विभाग का काम भी प्रभावित हो रहा है। कामगार शिकायत करता है तो उसकी पहचान उजागर हो सकती है। सरकारी विभागों से नौकरियां खत्म होते जा रही है। ठेका पध्दति पर जो मेहनताना मिल रहा है, उसमे परिवार का पेट पालना मुश्किल हो रहा है।

न्यूनतम वेतन मिलना चाहिए

एम. पी. मडावी, प्रभारी सहायक आयुक्त श्रम विभाग के मुताबिक सप्ताह में एक दिन छुट्टी व न्यूनतम वेतन यह कामगार का अधिकार है। 26 दिन का वेतन 10 हजार से ज्यादा मिलना चाहिए। न्यूनतम वेतन व छुट्टी नहीं मिलने की शिकायत कामगार ने करनी चाहिए। शिकायत मिलने के बाद ही संबंधित ठेकेदार या कंपनी पर कार्रवाई की जा सकती है। सरकार के जो आदेश है, उसके मुताबिक काम कर रहे है। 

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